उत्तर प्रदेश सरकार विधानसभा चुनाव से पहले छुट्टा जानवरों की समस्या के समाधान के लिए कवायद तेज कर दी है। इस क्रम में सबसे ज्यादा छुट्टा जानवरों से प्रभावित गोंडा-श्रावस्ती सहित 10 जिलों में नगरीय क्षेत्रों की तरह कार्ययोजना लागू करने का फैसला हुआ है।
इसकी जिम्मेदारी जिला पंचायतों को सौंपी जाएगी। यह प्रयोग सफल रहा तो अन्य जिलों में भी नई व्यवस्था को लागू किया जाएगा।
प्रदेश में तमाम प्रयास के बावजूद छुट्टा गोवंश चुनौती बने हुए हैं।
प्रदेश में तमाम प्रयास के बावजूद छुट्टा गोवंश चुनौती बने हुए हैं।
लगातार फीडबैक मिल रहा है कि छुट्टा गोवंश फसलों को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं। पड़ताल में सामने आया कि ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं को पकड़ने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। ग्राम पंचायतों के पास पशुओं को पकड़ने के लिए न तो मैनपावर है और न ही संसाधन ही उपलब्ध हैं।
सूत्रों ने बताया कि कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस समस्या पर चर्चा के बाद कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। इससे कम समय में अधिक निराश्रित गोवंश को संरक्षित किया जा सकेगा।
गो आश्रय स्थल में गोवंश की सुरक्षा के लिए चौकीदार-केयरटेकर की व्यवस्था पंचायतीराज विभाग करेगा। इसके लिए तत्काल शासनादेश जारी करने को कहा गया है।
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