वक्त पर पहचान हाई ब्लड प्रेशर और उससे जुड़ी पेचीदगी को काबू करने में अहम भूमिका निभाता है. हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन को साइलेंट किलर के तौर पर भी जाना जाता है क्योंकि उसका कोई लक्षण नहीं जाहिर होता और दिल की बीमारी का आपको काफी अधिक जोखिम बना देता है. जल्दी पता लगाने से डाइट और जीवनशैली में उचित दवाइयों के साथ तत्काल बदलाव का समय मिल जाता है. ये उस स्थिति को प्रभावी तरीके से काबू करने में मदद कर सकता है.
हाई ब्लड प्रेशर रोग की पहचान को ज्यादा जानने के लिए हिंदुजा अस्पताल में कंसलटेन्ट फिजिशियन ने जरूरी जानकारी साझा किया है. उनके मुताबिक, ब्लड प्रेशर होने की वजह जीवनशैली की खराबी है जो आम तौर पर शरीर के ज्यादा वजन, गैर सेहतमंद डाइट का इस्तेमाल या सुस्त जीवनशैली की वजह से होता है. हाई ब्लड प्रेशर के साथ पता चलने पर कुछ जांच कराने की जरूरत होती है.
ब्लड टेस्ट- ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन, यूरिक एसिड और विटामिन बी12 के अलावा विटामिन डी लेवल समेत शरीर का बुनियादी प्रोफाइल.
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम– ये एक टेस्ट है जिससे दिल की विद्युत गतिविधि का पता चलता है. ये समझने में मदद करता है कि क्या हाइपरटेंशन ने आपके दिल को प्रभावित करना शुरू कर दिया है. सभी व्यस्कों को साल में कम से कम एक बार इस जांच को कराने की सलाह दी जाती है. कई तरह की जांच दिल और अन्य अंगों पर प्रभाव को जानने के लिए की जाती है.
इकोकार्डियोग्राफी– ये दिल की सोनोग्राफी कहलाता है. इससे दिल के धड़कने और दिल के वाल्व की स्थिति के बारे में जानकारी होती है. हाइपरटेंशन, डायबिटीज या किडनी की बीमारियों से पीड़ित लोगों को एक साल में एक या ज्यादा बार डॉक्टर की सलाह पर इस तरह का जांच कराना चाहिए.
एबडोमेन अल्ट्रासाउंड (पेट की सोनोग्राफी)– ये एक इमेजिंग तकनीक है जो आपके पेट के अंदर मौजूद अंगों जैसे किडनी, लीवर की तस्वीर निकालता है. इस टेस्ट का इस्तेमाल इन अंगों में किसी स्वास्थ्य स्थिति को जांचने के लिए होता है. बहुत बार हाई ब्लड प्रेशर से किडनी की बीमारियां या किडनी की बीमारियों से हाई ब्लड प्रेशर होने का डर रहता है. इसलिए, हर साल इन अंगों की स्क्रीनिंग कराना जरूरी है.