देश की विनिर्माण गतिविधियां जुलाई में 17.5 वर्ष के शीर्ष पर पहुंच गई हैं। एसएंडपी ग्लोबल की ओर से जारी एचएसबीसी फ्लैश इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई जुलाई में 59.2 पर पहुंच गया। खरीद प्रबंधक सूचकांक यानी पीएमआई जून में 58.4 पर था। दरअसल, यह उछाल, मज़बूत घरेलू और वैश्विक मांग के कारण विनिर्माण क्षेत्र में मजबूत वृद्धि का संकेत देता है।

विनिर्माण और सेवा दोनों का पीएमआई 60.7 पर पहुंच गया, जो एक साल से भी अधिक समय में सबसे तेज उछाल है। यह मांग में तेजी, तकनीकी निवेश और विस्तारित क्षमताओं के कारण संभव हुआ है। रोजगार में विशेष रूप से सेवा क्षेत्र में, मजबूत वृद्धि हुई है। यह दर्शाता है कि भारत के विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों के विस्तार के साथ-साथ स्वस्थ रोजगार सृजन भी हो रहा है।

अगले 12 महीनें में उत्पादन वृद्धि में आशावादी
भारतीय कंपनियां अगले 12 महीने में उत्पादन वृद्धि के बारे में आशावादी बनी रहीं। कंपनियों का कहना है कि बढ़ती मांग, प्रौद्योगिकी में निवेश और विस्तारित क्षमताओं के कारण वृद्धि हो रही है। पीएमआई आंकड़ों से पता चला है कि भारत में वस्तु उत्पादकों ने सेवा प्रदाताओं की तुलना में उत्पादन में तेजी से वृद्धि दर्ज की है। इनकी वृद्धि की गति अप्रैल, 2024 के बाद से सबसे मजबूत हो गई है।

सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में मामूली नरमी
जुलाई के दौरान सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में थोड़ी नरमी देखी गई। हालांकि ऐतिहासिक मानकों के अनुसार वृद्धि दर तेज रही। निजी क्षेत्र के परिचालन में सुधार जारी रहा। कुल बिक्री, निर्यात ऑर्डर और उत्पादन स्तर में तेज वृद्धि दिखाई दी। हालांकि कारोबारी विश्वास सकारात्मक बना रहा, लेकिन कुछ प्रतिस्पर्धा और महंगाई के दबाव को लेकर चिंतित होने के कारण यह लगभग ढाई साल के निचले स्तर पर आ गया। रोजगार सृजन की दर 15 महीनों में सबसे कम रही।