राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरुओं और विद्वानों से मुलाकात की। इस मुलाकात में कई मुद्दों पर चर्चा हुई और हिंदुओं व मुसलमानों के बीच संवाद शुरू करने की जरूरत पर सहमति बनी। अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख उमर अहमद इलियासी ने यह जानकारी दी।

यह बैठक हरियाणा भवन में आयोजित की गई और इसमें करीब साढ़े तीन घंटे तक बातचीत चली। बैठक में 60 प्रमुख इमाम, मुफ्ती और मदरसों के प्रमुख शामिल हुए। वहीं, आरएसएस ने इस बैठक को ‘सकारात्मक’ बताया और कहा कि यह समाज के सभी वर्गों के साथ चल रहे संवाद की एक निरंतर प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसका मकसद यह समझना है कि देश के हित में सभी लोग मिलकर कैसे काम कर सकते हैं।

आरएसएस के प्रचार और मीडिया विभाग के प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया, यह सभी वर्गों के साथ एक व्यापक संवाद की निरंतर प्रक्रिया है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि देश के हित में सब मिलकर कैसे काम कर सकते हैं। आज की चर्चा भी सकारात्मक रही। अखिल भारतीय इमाम संगठन के आमंत्रण पर भागवत इस बैठक में शामिल हुए थे। उनके साथ आरएसएस के वरिष्ठ नेता कृष्ण गोपाल और इंद्रेश कुमार भी मौजूद थे।

बैठक के बाद इलियासी ने बताया, राष्ट्रीय मुद्दों पर खुलकर चर्चा हुई। तय हुआ कि मंदिर और मस्जिद, इमाम और पुजारी, गुरुकुल और मदरसे इन सबके बीच संवाद होना चाहिए। जब पूछा गया कि इस फैसले पर मोहन भागवत की क्या प्रतिक्रिया थी, तो इलियासी ने कहा कि भागवत ने इसका समर्थन किया। उन्होंने बताया कि इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए अखिल भारतीय इमाम संगठन और आरएसएस मिलकर काम करेंगे।