समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में डिंपल यादव को उतारा है, जो मुलायम सिंह यादव की विरासत पर दावा ठोक रही हैं। मुलायम के निधन से खाली सीट को लेकर कई नामों पर विचार चल रहा था .
लेकिन अंत में मुहर डिंपल यादव के ही नाम पर लग गई। डिंपल को मैदान में उतारकर अखिलेश यादव ने नेताजी की विरासत को चाचा शिवपाल से ना बांटने की कोशिश की है। परिवार और पार्टी पर भी उन्होंने पकड़ बनाने की कोशिश की है।
मैनपुरी लोकसभा सीट पर एक तिहाई आबादी यादवों की है, ऐसे में उन्हें जीत का अनुमान है। लेकिन एक अहम सवाल भी है, जो आने वाले दिनों में समाजवादी पार्टी को परेशान कर सकता है। पहले ही भाजपा समाजवादी पार्टी में सैफई परिवार के दबदबे का जिक्र कर निशाना साधती रही है।
सपा के 5 सांसद 2014 के आम चुनाव में चुने गए थे। मैनपुरी, आजमगढ़, कन्नौज जैसी सीटों से जिन नेताओं को चुना गया था, उनमें से सभी मुलायम सिंह यादव के ही कुनबे से थे। भाजपा के ही प्रचार को मजबूती देने वाला होगा। सपा ने यह फैसला लिया है, जब कांग्रेस जैसी पार्टी ने भी गांधी परिवार की छाया से बाहर निकलने की कोशिश की है और खड़गे को कमान दी है।