Saturday, November 23, 2024 at 12:43 AM

भाजपा नेता पर आरएसएस सदस्य ने लगाए संगीन आरोप, कांग्रेस ने घेरा तो अमित मालवीय ने भेजा कानूनी नोटिस

नई दिल्ली: भाजपा के सोशल मीडिया प्रभारी अमित मालवीय की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उन पर महिलाओं का यौन शोषण करने का आरोप लगा है। यह आरोप उनकी पार्टी के नेता राहुल सिन्हा के संबंधी आरएसएस के सदस्य शांतनु सिन्हा ने लगाए हैं। इसे लेकर कांग्रेस लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रही है। वहीं मालवीय ने पलटवार करते हुए शांतनु को कानूनी नोटिस भेजा है।

महिलाओं के यौन शोषण में लिप्त मालवीय
आरएसएस के सदस्य शांतनु सिन्हा ने हाल ही में अमित मालवीय पर घृणित गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि मालवीय महिलाओं के यौन शोषण में लिप्त हैं। इस पर भाजपा के सोशल मीडिया प्रभारी की कानूनी टीम ने पलटवार करते हुए आठ जून को सिन्हा को कानूनी नोटिस भेजा था।

नोटिस में लिखा है- आरोपों की प्रकृति बहुत ही आपत्तिजनक है। वह मेरे मुवक्किल पर कथित तौर पर किए गए यौन दुराचार का झूठा आरोप लगाते हैं। यह मेरे मुवक्किल की गरिमा और प्रतिष्ठा के लिए घातक है, जो अपने पेशेवर प्रोफाइल के आधार पर एक सार्वजनिक व्यक्ति हैं।’

उचित कार्रवाई होगी
वहीं, अमित मालवीय ने कहा, ‘चूंकि कांग्रेस और इससे पहले पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने अपमानजनक पोस्ट पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। तीन दिन का नोटिस कल 11 जून को समाप्त हो रहा है। इसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।’

महिलाओं को न्याय मिले: कांग्रेस
विरोध बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस एक भी मौका नहीं छोड़ रही है। सबसे पुरानी पार्टी की नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ‘आरएसएस के सदस्य शांतनु सिन्हा ने भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय पर घृणित गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि मालवीय महिलाओं के यौन शोषण में लिप्त हैं। सिर्फ पांच सितारा होटलों में ही नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल के भाजपा कार्यालयों में भी उन्होंने महिलाओं का शोषण किया है।’

श्रीनेत ने आगे कहा, ‘हम भाजपा से केवल यही चाहते हैं कि महिलाओं को न्याय मिले। हकीकत यह है कि पीएम मोदी के शपथ ग्रहण के 24 घंटे से भी कम समय में भाजपा के एक बहुत ही प्रमुख पदाधिकारी, इसके आईटी सेल के प्रमुख के खिलाफ यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आज हम अमित मालवीय को उनके पद से तत्काल हटाने की मांग करते हैं। यह एक अत्यंत प्रभावशाली पद है। यह शक्तिशाली पद है और इसकी कोई स्वतंत्र जांच नहीं हो सकती। कोई स्वतंत्र जांच नहीं हो सकती। जब तक उन्हें उनके पद से नहीं हटाया जाता, न्याय नहीं हो सकता।’

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