इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने शाहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ लाहौर से इस्लामाबाद तक लॉन्ग मार्च शुरू कर दिया। इसे हकीकी आजादी मार्च नाम दिया गया।पूर्व प्रधानमंत्री खान ने लाहौर के लिबर्टी चौक से ये मार्च शुरू किया। उनकी मांग देश में आम चुनाव का तुरंत एलान करने की है। वैसे नेशनल असेंबली के चुनाव में अभी लगभग एक साल बाकी है।
इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री की कुर्सी गंवाने वाले खान ने फौज और खुफिया एजेंसी ISI को चैलेंज किया। कहा- मेरे सीने में इन लोगों के अनगिनत राज दफन हैं, लेकिन मुल्क की इज्जत बनी रहे। इसलिए चुप हूं।
राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. उमैर जावेद ने कहा है- ‘अधिक संभावना इस बात की है कि बड़े पैमाने पर उथल-पुथल को रोकने के लिए सेना की मदद ली जाएगी। इससे एक कमजोर सरकार की जो थोड़ी-बहुत पकड़ है, कहा- भारत अपने फैसलों में किसी दूसरे देश की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करता।28 अक्टूबर से शुरू हुआ यह लॉन्ग मार्च 4 नवंबर को फेडरल कैपिटल इस्लामाबाद पहुंचेगा।
राजनीति विश्लेषक अहमद बिलाल महबूब ने कहा है- ‘इस मार्च से इमरान खान और एस्टेब्लिशमेंट के बीच टकराव और गंभीर रूप ले लेगा। यह सिर्फ दो विरोधी राजनीतिक ताकतों का मुकाबला नहीं है। नैरेटिव से राष्ट्र हित को क्षति पहुंचेगी।’ मार्च ज्यादातर पंजाब प्रांत के शहरों से गुजरेगा, जहां इमरान की पार्टी की ही सरकार है। इमरान का दावा है कि शाहबाज सिर्फ 25 किलोमीटर के दायरे में ही प्रधानमंत्री हैं। इस्लामाबाद के बाहर उनको कोई नहीं पूछता।