कानपुर में हुई ह्रदय विदारक घटना में जिस तरीके से जिम्मेदार अधिकारियों और व्यवस्था पर सवाल उठाए गए, उससे लखनऊ से लेकर दिल्ली तक न सिर्फ सियासी हंगामा बरपा, बल्कि अधिकारियों पर कार्रवाई की भी आवाज उठने लगी।
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने मृतक परिजनों से बात कर न सिर्फ उन्हें भरोसे में लिया, बल्कि इस पूरे मामले में कड़ी कार्यवाही करने का आश्वासन भी दिया। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के भरोसे के बाद ही परिजनों ने मृतकों का दाह संस्कार किया। इस घटना के साथ ही उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है क्या बृजेश पाठक भाजपा के संकटमोचक नेता बन चुके हैं।
कानपुर घटना में जिस तरीके से बृजेश पाठक ने पूरे मामले में हस्तक्षेप किया, उससे सियासी गलियारों में उनके क्राइसिस मैनेजमेंट की चर्चाएं होने लगीं। उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि बृजेश पाठक सिर्फ कानपुर मामले में ही बहुत सक्रिय नहीं हुए, बल्कि इससे पहले भी और कई मामलों में उनकी सक्रियता ने ऐसे मामलों में बिगड़े हुए हालातों को सुधारा है।
2017 में हुए रायबरेली में पांच लोगों की मौत का मामला हो या लखीमपुर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र की गाड़ी से कुचल कर मरे किसानों के चलते हुए विवाद का मामला हो। लखनऊ में आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल के मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या का मामला हो या हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की मौत का मामला।