नई दिल्ली:  अहमदाबाद हवाई अड्डे पर जनवरी 2018 से अक्तूबर 2023 के बीच पक्षियों और अन्य वन्यजीवों के टकराने की 319 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इस मामले में दिल्ली (710) और मुंबई (352) के बाद तीसरे स्थान पर है। एक पशु अधिकार थिंक टैंक ने गुरुवार को यह खुलासा किया। यह जानकारी ऐसे समय में सामने आई है, जब एक हफ्ते पहले अहमदाबाद में एअर इंडिया का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में कुल 241 यात्रियों सहित 270 लोगों की जान चली गई थी। विमान एक मेडिकल कॉलेज के छात्रावास से टकरा गया था। हालांकि, हादसे के पीछे के कारण को पक्षियों के टकराने को नहीं माना गया है। फिर भी कुछ विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं।

‘पीपुल्स फॉर एनिमल्स पब्लिक पॉलिसी फाउंडेशन’ (पीएपीपीएफ) ने दावा किया कि अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जनवरी 2018 से अक्तूबर 2023 के बीच 319 पक्षियों और वन्यजीव के टकराने के मामले दर्ज हुए, जो दिल्ली और मुंबई के बाद तीसरे स्थान पर है। यह आंकड़ा दिसंबर 2023 में एक संसदी सवाल के जवाब से लिया गया है। थिंक‑टैंक ने बताया कि 2023 में पक्षियों के टकराने की घटनाएं लगभग दोगुना हो गईं, जो कि उससे पिछले वर्ष की तुलना 107 फीसदी अधिक है।

संगठन ने कहा राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी घटनाएं 2006 में 167 से बढ़कर 2022 में 1,125 हो गई हैं, जो विमानन मंत्रालय द्वारा तय लक्ष्यों का उल्लंघन है। थिंक टैंक ने कहा कि उसने विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को एक अनौपचारिक पत्र भेजा है, जिसमें इस तरह की टकराव की संभावनाओं को कम करने के लिए विमान नियम, 1937 के नियम 91 को तत्काल देशभर में लागू करने की मांग की गई है।

विमान नियम, 1937 के अनुसार, हवाई अड्डे के दस किलोमीटर के दायर में पशुओं का वध और खाल उतारने के साथ-साथ कूड़ा-कचरा और अन्य प्रदूषण करने वाले पदार्थ जमा करने पर प्रतिबंध है। पीएपीपीएफ ने कहा कि विमानन मंत्रालय ने वर्षों से यह माना है कि हवाई अड्डों के पास मांस की दुकानें, बूचड़खाने, सुअर पालन, डेयरी और खुले कूड़े के ढेर पक्षियों को आकर्षित करते हैं, जिससे पक्षियों के टकराने का खतरा बढ़ जाता है। 2007 में संसद में एक बयान में मंत्रालय ने माना कि हवाई अड्डों के आसपास से मांस की दुकानों को हटाने से पक्षियों के टकराने की घटनाओं में निश्चित रूप से कमी आएगी।