Sunday, May 19, 2024 at 11:10 AM

संघर्ष विराम समझौते के बावजूद मणिपुर हिंसा के पीछे UNLF का हाथ, सुरक्षा एजेंसियों ने जताई चिंता

पिछले साल नवंबर में केंद्र सरकार और सशस्त्र समूहों द्वारा संघर्ष विराम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। लेकिन फिर भी मणिपुर में बढ़ती हिंसा पर सुरक्षा एजेंसियों ने चिंता जाहिर की है। अधिकारियों के मुताबिक, शांति समझौतों के बावजूद यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट(यूएनएलएफ) द्वारा मणिपुर में हिंसा को बढ़ाया जा रहा है। गौरतलब है कि यूएनएलएफ(पी) ने 29 नवंबर 2023 को सरकार के साथ युद्धविराम समझौता किया था, साथ ही वादा किया था कि वह अब हिंसा का रास्ता छोड़ देंगे। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों ने आरोप लगा है कि मणिपुर हिंसा में यूएनएलएफ(पी) शामिल हैं।

UNLF(P) की गतिविधियों ने बढ़ाई सुरक्षा एजेंसियों की चिंता
रविवार को अधिकारियों ने रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि यूएनएलएफ(पी) के सदस्य आदिवासियों को निशाना बनाने की लगातार साजिश रच रहे हैं, जिसके लिए वे कुकी आबादी वाले क्षेत्रों के समीप अपने ठिकानों को स्थापित कर रहे हैं।

जमीनी रिपोर्ट्स का जिक्र करते हुए अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा बलों और आम जनता दोनों के खिलाफ हिंसक गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है और इसके पीछे यूएनएलएफ(पी) के विद्रोही हैं। गौरतलब है कि 13 फरवरी को मणिपुर पूर्व के चिंगारेल में पांचवीं इंडिया रिजर्व बटालियन से हथियार और गोला बारूद बड़ी संख्या में लूटे गए थे, जिसमें इस विद्रोही संगठन के शामिल होने की बात सामने आई है।

कुकी समुदाय के खिलाफ यूएनएलएफ(पी) की साजिश
13 फरवरी की लूटपाट की घटना के बाद पुलिस ने दो यूएनएलएफ के छह लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसमें आगे की जांच जारी है। हाल ही में मोइरांगपुरेल, तुमुहोंग और इथम जैसे कई क्षेत्रों में यूएनएलएफ (पी) की गतिविधियां बढ़ गई है। बता दें सात फरवरी, 2024 को, यूएनएलएफ (पी) ने कुकी जिले चुराचांदपुर की ओर जाने वाले वाहनों पर मोइरंगपुरेल में गोलीबारी की थी।

इस दौरान विद्रोही समूह के सदस्यों ने कुकी समुदाय को निशाना बनाने का दावा करते हुए सोशल मीडिया पर लाइव अपडेट दिया था। अधिकारियों ने कहा कि मणिपुर के चुराचांदपुर में हाल ही की हिंसा में यूएनएलएफ(पी) के सदस्यों को प्रतीक चिन्ह की वर्दी के साथ देखा गया था। गौरतलब है कि पिछले साल मई से मणिपुर में मैतेई और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष में 180 से अधिक लोगों की जान चली गई है।

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