नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), इंदौर उप-क्षेत्रीय कार्यालय ने धन शोधन निवारण (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत ‘इंदौर नगर निगम’ (आईएमसी) के फर्जी बिल घोटाले के मामले में 34 करोड़ रुपये (लगभग) की संपत्ति को अनंतिम रूप से कुर्क किया है। कुर्क की गई संपत्तियों में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित 43 अचल संपत्तियां (आवासीय और कृषि दोनों) शामिल हैं। इंदौर नगर निगम के तहत नाली निर्माण कार्य, जो जमीनी स्तर पर हुआ ही नहीं, लेकिन ठेकेदारों को अवैध रूप से 92 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया। इसके लिए फर्जी बिल लगाए गए थे।
ईडी ने आईएमसी फर्जी बिल घोटाले के संबंध में आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत मध्य प्रदेश पुलिस, इंदौर द्वारा दर्ज विभिन्न एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी। ईडी की जांच से पता चला कि आईएमसी अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके विभिन्न ठेकेदारों ने आपराधिक साजिश रची। जमीनी स्तर पर कोई काम किए बिना ‘नाली निर्माण कार्य’ के फर्जी बिल पेश कर अपराध की आय (पीओसी) अर्जित की गई। आरोपी ठेकेदारों को अवैध रूप से 92 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया गया।
ईडी की जांच से पता चला है कि आरोपी ठेकेदारों द्वारा अपने कर्मचारियों/श्रमिकों के नाम पर बनाए गए खातों का उपयोग कर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भारी मात्रा में नकदी निकाली गई। उक्त नकदी को आरोपी ठेकेदारों और सरकारी अधिकारियों के बीच वितरित किया गया। पहले, इसी मामले में ईडी ने 20 से अधिक स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया था। आरोपियों के ठिकानों से विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण बरामद किए गए थे। इसके अलावा 22 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति भी जब्त की गई।