मुंबई: महाराष्ट्र में जहां एक तरफ मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर संशय बना हुआ है, वहीं दूसरी तरफ शिवसेना (यूबीटी) नेता अंबादास दानवे ने उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के संबंधों पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह वे दोनों ही तय कर सकते हैं कि उन्हें आपस में हाथ मिलाना चाहिए या नहीं। दानवे ने बताया कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे का राजनीतिक रुख अस्पष्ट है। लोगों को यह समझ नहीं आ रहा कि वे राज्य सरकार के समर्थन में हैं या विरोध में।
पत्रकारों से बात करते हुए शिवसेना (यूबीटी) नेता अंबादास दानवे ने कहा, “हर चुनाव में हार के बाद ऐसी बातें होती है कि ठाकरे के चचेरे भाइयों को एक साथ आना चाहिए। चुनावी नतीजों के जारी होने के बाद हर आठ से 10 दिनों के भीतर इसपर चर्चा होती है। यह केवल वे ही तय कर सकते हैं कि उन्हें एक साथ आना चाहिए या नहीं। इसमें हमारा कोई किरदार नहीं है।”
राज ठाकरे का रुख अस्पष्ट: अंबादास दानवे
उद्धव गुट के वफादार नेता ने कहा कि राज ठाकरे का राजनीतिक रुख अस्पष्ट है। उन्होंने कहा, “लोगों को यह समझ नहीं आता कि वे (राज ठाकरे) सरकार के साथ हैं या खिलाफ।” मनसे के उम्मीदवार महायुति के खिलाफ थे, जबकि उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस की वकालत की। उनका रुख स्पष्ट नहीं है।
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मनसे ने 125 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन एक भी उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं उतर सका। शिवसेना (यूबीटी) ने 95 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से उन्होंने 20 सीटों पर जीत हासिल की। ठाकरे भाइयों के बीच साल 2006 से भी पहले से मतभेद हैं, जिसके कारण राज ठाकरे ने अविभाजित शिवसेना छोड़कर मनसे का गठन किया। राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे को मुंबई की माहिम सीट से हार का सामना करना पड़ा।