केंद्र सरकार ने उन लोगों को भी आरक्षण का लाभ देने की राह तलाशना शुरू कर दिया है, जो ‘ऐतिहासिक’ तौर पर अनुसूचित जाति (SC) से संबंधित होने का दावा करते हैं और बाद में धर्म परिवर्तन कर लिया है. आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने एक बड़ा आयोजन कराया। दस हजार लोगों ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया।
संविधान (एससी) आदेश, 1950 के मुताबिक, हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म के लोगों को ही अनुसूचित जाति का दर्जा मिलता है. इसके अलावा किसी दूसरे धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जाता है.
केंद्र ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन की अध्यक्षता वाले आयोग का गठन कर दिया. यह आयोग समय-समय पर SC कैटेगरी में नए लोगों को शामिल करने के लिए जारी प्रेसिडेंशियल ऑर्डर्स की जांच करेगा.
पैनल देखेगा संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत जारी प्रेसिडेंशियल ऑर्डर्स के तहत धर्म परिवर्तन करने वालों को भी पुरानी जाति के तहत आरक्षण का लाभ मिल सकता है या नहीं. अगर कोई इस्लाम या ईसाई धर्म अपनाता है, तो उसे आरक्षण और अन्य दूसरी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता है। हां, अगर वह फिर से हिंदू धर्म में आ जाता है, तो उसे लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
ये मामला पिछले कई दशकों से चर्चा में रहा है, जो लोग धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम या ईसाई बन गए हैं उनकी तरफ से कई बार इस बात को लेकर सवाल उठाए गए हैं.अगर कमेटी इस्लाम या ईसाई बनने वाले दलितों को एसी का दर्जा देने की संतुति करती है तो इसका लाभ दलित ईसाई और दलित मुस्लिम को मिलने लगेगा।