मध्य प्रदेश में कई शहर पर्यटन के लिहाज से समृद्ध हैं। इन्हीं शहरों में से एक चंदेरी है जो कि अशोकनगर जिले में स्थित है। चंदेरी शहर हाथ से बुनी चंदेरी साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां कई ऐतिहासिक स्मारक हैं। साथ ही जैन मंदिर, कई मकबरे, समाधियां और चट्टान पर नक्काशी का काम भी देखने को मिलता है। चंदेरी में संग्रहालय, कई प्रसिद्ध मंदिर, पहाड़ी इलाके और खूबसूरत झीलें घूमने को मिल जाएंगी।
मध्य प्रदेश का यह छोटा सा शहर चंदेरी अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और ऐतिहासिक तथ्यों के लिए जाना जाता है। बुंदेलखंड और मालवा की सीमा पर स्थित चंदेरी झीलों, पहाड़ों और घने जंगलों से घिरा है। अगर आप मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं या यहां छुट्टियां बिताने के लिए आ रहे हैं तो चंदेरी घूमने जा सकते हैं। चंदेरी के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों की सूची यहां दी जा रही है, जहां आप दो दिन की छुट्टी पर घूमने जा सकते हैं।
चंदेरी की ऐतिहासिक इमारतें
चंदेरी का किला 71 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। किले में तीन दरवाजे हैं, जिनमें से एक को खूनी दरवाजा कहते हैं। इसका इतिहास मुगलकाल से जुड़ा है।चंदेरी के रामनगर महल को बुंदेला शासक दुर्जन सिंह ने बनवाया था। बाद में ग्वालियर के शासक माधवराव सिंधिया ने इसका जीर्णोद्धार कराया। इस तीन मंजिला महल में खूब सारे खंभे हैं। राजा रानी महल वास्तव में दो अलग-अलग महलों से बना है। भव्य राजा महल सात मंजिला इमारत है जिसे अब छोटे रानी महल से जोड़ दिया गया है। दोनों का निर्माण अलग-अलग शैलियों में किया गया है।
कोशक महल बहुमंजिला इमारत है, जिसे मालवा के सुल्तान महमूद शाह खिलजी ने बनवाया था। ये एक चौकोर इमारत है जो चार बराबर हिस्सों में बंटा हुआ है। इसके हर हिस्से में बालकनी, खिड़कियों की कतार और छत की नक्काशी की गई है। यह महल पूरी तरह से सफेद स्थानीय बलुआ पत्थर से बना है।
जागेश्वरी मंदिर
इस मंदिर को चंदेरी के राजा कीर्तिपाल ने बनवाया था। मंदिर कीर्ति दुर्ग किले के पास स्थित है जो कि मां जागेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर घने जंगलों के बीच एक खुली गुफा में स्थित है, जहां एक शिवलिंग भी है, जिसके अंदर 1100 छोटे शिवलिंग स्थापित हैं। इस मंदिर में सिर्फ मां का मुख ही है।
परमेश्वर तालाब
मान्यता है कि एक बार राजा कीर्तिपाल कोढ़ की बीमारी से पीड़ित थे। शिकार के दौरान उन्होंने एक तालाब में स्नान किया जिससे उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया। इस तालाब का नाम परमेश्वर तालाब पड़ा।
लक्ष्मण मंदिर
100 साल पुराने इस मंदिर में अयोध्या के राजकुमार लक्ष्मण अपने भाई भगवान राम के बिना दर्शन देते हैं। यह मंदिर पहला अनोखा मंदिर है, जहां लक्ष्मण जी रामजी के बिना वास करते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि डोल ग्यारस के दिन भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण से मिलने के लिए आते हैं। मंदिर बुंदेली तर्ज पर तैयार किया गया है।