Saturday, April 20, 2024 at 12:54 AM

सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति के अंदर आते हैं ये बदलाव, जान ले इसके लक्ष्ण

सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति की सोच, समझ और व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। ऐसा मस्तिष्क में होने वाले रासायनिक असंतुलन के कारण होता है।बिना किसी वजह के हर बात और हर शख्स को शक की नजर से देखना, कल्पना की दुनिया में खोये रहना, वैसी ध्वनि सुनाई देना, जो वास्तव में नहीं होती आदि एक मनोरोग है

 

इसके लक्षण कई तरह के होते हैं। शुरुआत में ही अगर इसके लक्षण पहचान लिए जाएं तो इस रोग को काबू में किया जा सकता है। अक्सर यह बीमारी किशोरावस्था के बाद से ही शुरू हो जाती है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। दिमाग के लिम्बिक सिस्टम में रासायनिक असंतुलन के कारण मतिभ्रम की समस्या उत्पन्न होती  है।

पीड़ित डरा-डरा सा रहता है। उसे वैसी आवाजें सुनाई देती है, जो वास्तव में नहीं होती। पीड़ित को हर समय लगता है कि उस पर नजर रखी जा रही है।
नियंत्रण का भ्रमः  इससे पीड़ित व्यक्ति में एक ऐसा गलत विश्वास या सोच बैठ जाता है कि उसका मन, उसके विचार, या बर्ताव पर किसी दूसरे इंसान का नियंत्रण होता है।
आरोपी मानने का भ्रमः ऐसे भ्रम में मरीज पश्चाताप या अपराधी होने की गलत भावना का शिकार होता है।
संदर्भ का भ्रमः इसमें पीड़ित को लगता है कि उसके चारों तरफ होने वाली नकारात्मक घटनाएं उससे जुड़ी हुई हैं।
दैहिक भ्रमः इसमें इंसान को बिना किसी वजह लगता है कि वह बीमार है, जबकि वास्तव में वह बीमार नहीं होता।
साजिश का भ्रमः इसमें पीड़ित को लगता है कि लोग उसके खिलाफ साजिश रच रहे हैं। उसे महसूस होता है कि सभी उसके बारे में बातें करते हैं या उसे घूर रहे हैं। रोगी को ऐसा भी लगता है कि जैसे कुछ लोग उसके ऊपर जादू-टोना करवा रहे हैं या फिर उसके खाने में जहर मिलाया जा रहा है।

Check Also

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि को लगाएं गुड़ की खीर का भोग

चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मांं कालरात्रि की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता …