कोरोना के दौर में बहुत से लोगों को नींद कम आने की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि नींद कम आने का कारण डिप्रेशन और एंग्जाइटी का लक्षण भी हो सकता है.
लेकिन अगर रोजाना ऐसी परेशानी हो रही है तो सबसे पहले जनरल फिजिशियन से सलाह लेनी चाहिए. अगर वह आपको मनोरोग विशेषज्ञों के पास जाने को कहते हैं, तो मनोरोग के डॉक्टरों से इलाज शुरू कराने की जरूरत है.
घर पर रहने के कारण उनकी जीलनशैली भी खराह हो गया है. लोग सोने और जगने के समय को निर्धारित नहीं कर रहे हैं. कई लोग चिंता या तनाव में रहते हैं. इन सबका असर उनकी स्लीप साइकल पर पड़ रहा है.
व्यक्ति पहले रोजाना 6 से 7 घंटे सोता था और अब तीन से चार घंटे ही सो रहा है तो समझे की उसकी स्लीपिंग साइकल बिगड़ गई है. नींद की समस्या होने पर सबसे पहले नींद के घंटे में कमी आथी है. उसके बाद नींद की गुणवत्ता खराब होती है.
कोरोना के बाद नींद कम आने की समस्या बढ़ी है. यह सब डिप्रेशन, एंग्ज़ाइटी से जुड़े लक्षण हैं. इसके कई दुष्प्रभाव होते हैं. जैसे की याददाश्त का कम हो जाना, किसी काम को करने की क्षमता घटना और शरीर का वजन बढ़ना. लेकिन लोग इन लक्षणों की ओर ध्यान नहीं देते हैं.