माफिया अतीक अहमद को पुलिस एनकाउंटर में मारे गए उसके बेटे असद का आखिरी बार चेहरा दिखाने के लिए उसके वकीलों ने पूरा जोर लगाया। असद का शव जब प्रयागराज पहुंचा तो वकीलों ने पुलिस कमिश्नर से जनाजे को थोड़ी देर के लिए रोकने की अपील भी की ताकि अतीक की अर्जी पर हाईकोर्ट में सुनवाई हो सके।
हालांकि पुलिस ने वकीलों की इस मांग को ठुकरा दिया और बिना कोई वक्त गंवाए असद के ननिहाल पक्ष के लोगों और अन्य करीबियों की मौजूदगी में सुपुर्द-ए-खाक करा दिया गया। उसकी एक बहन शाहीन बेगम और उसकी बेटी ही इस मौके पर मौजूद रह सकी।
इस दौरान यह चर्चा जोरों पर थी कि असद की मां शाइस्ता परवीन अपने बेटे को अंतिम विदा देने कब्रिस्तान तक आ सकती है। शाइस्ता परवीन पर भी उमेश पाल हत्याकांड की साजिश रचने का आरोप है। वह लगातार फरार चल रही है और पुलिस ने उस पर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित कर रखा है।
शाइस्ता के आने की आशंका के मद्देनजर अतीक के चकिया स्थित जमींदोज किए जा चुके घर और कब्रिस्तान के आसपास बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। पुलिस ने ऐन वक्त पर असद का शव उसके पुश्तैनी घर ले जाने की बजाए एंबुलेंस का रुख कसारी-मसारी कब्रिस्तान की ओर मोड़ दिया। वहां रीति-रिवाजों को पूरा करने के बाद असद का जनाजा निकला और अंत में उसे सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।