मुनंबम जमीन विवाद के मामले में सोमवार को केरल हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की। उच्च न्यायालय ने इस दौरान एक जज की बेंच के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन को रद्द कर दिया गया था।
गौरतलब है कि इस मामले में न्यायिक आयोग के गठन का एलान खुद केरल सरकार ने किया था। हालांकि, हाईकोर्ट की एकल जज की पीठ ने 17 मार्च को इस न्यायिक आयोग की नियुक्ति को रद्द कर दिया। इसी मामले में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस एस. मनु की डिवीजन बेंच ने एक अंतरिम आदेश पारित किया और एकल पीठ के फैसले पर रोक लगा दी।
हाईकोर्ट ने अपने ताजा आदेश में साफ किया कि न्यायिक आयोग अगले आदेश तक अस्थायी तौर पर काम करता रहेगा। अपील पर आगे की सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद जून में होगी।
अदालत के आदेश को लेकर केरल के कानून मंत्री पी. राजीव ने कहा कि अब आयोग अपना कार्य कर सकता है और सरकार जरूरी प्रक्रियाओं के साथ आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि एकल पीठ के आदेश की वजह से आयोग को अपना काम करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला। लेकिन अब यह आयोग अपना काम आगे बढ़ाएगा। उन्होंने साफ किया कि मुनंबम से किसी को भी नहीं निकाला जाएगा।
गौरतलब है कि बीते साल नवंबर में राज्य सरकार ने एक न्यायिक आयोग के गठन का एलान किया था। इसकी अध्यक्षता केरल हाईकोर्ट के पूर्व कार्यकारी चीफ जस्टिस सीएन रामचंद्रन नायर को सौंपी गई थी। इस आयोग को विवादित क्षेत्र में जमीन के मालिकाना हक की जांच करनी थी।
क्या है पूरा मामला?
केरल के एर्नाकुलम जिले में चेराई और मुनंबम गांव के रहने वालों का आरोप है कि वहां के वक्फ बोर्ड ने अवैध तरीके से उनकी जमीनों और संपत्तियों पर दावा कर दिया है। जबकि गांववालों के पास रजिस्टर्ड बैनामे और जमीन पर टैक्स देने से जुड़ी रसीदें मौजूद हैं।