गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज के नाम से जाना जाता है. बहुत सी स्थितियों में इसको रोका नहीं जा सकता, लेकिन इसके रिस्क को कम किया जा सकता है. गर्भवती महिलाओं में हर साल इस प्रकार की डायबिटीज की संभावना 2 से 10% होती है. इस प्रकार की डायबिटीज का गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
अगर कोई महिला बेबी प्लान करने वाली है तो उससे पहले उसका वजन कंट्रोल में होना ज़रूरी है. इससे डायबिटीज का रिस्क काफी कम होता है.प्रेगनेंसी के दौरान महिला खुद के लिए कुछ एक्सरसाइज को नियमित रूप से करें, जिससे उसका शरीर स्वस्थ रहे और वेट भी ज़रूरत से ज्यादा ना बढ़े.
बाहर का कम खाएं. ऐसा भोजन ना करें, जिससे डायबिटीज का रिस्क बढ़ जाए.इस दौरान डायबिटीज के रिस्क फैक्टर जैसे वजन ज्यादा बढ़ना, प्री-डायबिटीज होना आदि को कम रखें. अगर आपको पहली प्रेग्नेंसी में डायबिटीज थी तो डॉक्टर से राय ज़रूर लें. अगर घर में किसी और व्यक्ति को डायबिटीज है तो उसके बारे में भी ज़रूर डॉक्टर से बात करें.