कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को यह स्पष्ट रूप से कहा कि कोई भी बंगाली भाषा के साथ खिलवाड़ या उसका अपमान करने की कोशिश न करे। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या बंगाल के बिना भारत की कल्पना की जा सकती है?
ममता बनर्जी ने रवींद्रनाथ टैगोर का उल्लेख किया, जिन्होंने राष्ट्रगान लिखा और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जिक्र किया, जिन्होंने वंदे मातरम् जैसे राष्ट्रीय गीत की रचना की। उन्होंने कहा, कोई भी हमारी भाषा के साथ खिलवाड़ न करे या उसका अपमान न करे। क्या बांग्ला के बिना भारत संभव है?
कामारपुकुर में रामकृष्ण मठ और मिशन के एक कार्यक्रम ममता बनर्जी ने कहा कि वे रामकृष्ण परमहंस की उस शिक्षा में विश्वास करती हैं जिसमें सभी धर्मों की एकता की बात की गई है। रामकृष्ण परमहंस ने हमें सिखाया कि सबके साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए। हमारे बीच कोई भेद नहीं है, हम सब एक हैं।
स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए बनर्जी ने कहा कि उनकी मातृभाषा बंगाली है, ठीक वैसे ही जैसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस या राजा राममोहन राय की थी। उन्होंने कहा, धर्म का अर्थ है दूसरे धर्मों के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आना।
बनर्जी ने कहा कि लोग पानी को अलग-अलग नामों से पुकारते हैं, लेकिन वह एक ही है। पश्चिम मेदिनीपुर जिले के बाढ़ प्रभावित घाटल का दौरा शुरू करने से पहले उन्होंने कहा, इसी तरह मां को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, लेकिन वह एक ही हैं। बनर्जी ने जयरामबती-कामारपुकुर विकास बोर्ड के गठन की भी घोषणा की।