सूर्य नमस्कार कई आसनों से जुड़ा हुआ एक योग है। Surya Namaskar को अलग-अलग नामो से भी जाना जाता है। कोई भी योगी अपने आसनो को शुरू करने से पहले सूर्य नमस्कार करता है, ताकि वह सफलता से अपने आसन की शुरुआत कर सके।
हम सभी धरती पर सूर्य की महत्तवता से भलीभांति परिचित हैं। प्रतीकवाद के अनुसार, सूरज को उर्जा का स्त्रोत माना गया है। सूर्य नमस्कार एक प्राचीन तकनीक है, जिसका सम्मान आज भी किया जाता है।
सूर्य नमस्कार जब तेजी से किया जाए, तब आपको बेहतरीन कार्डियोवैस्कुलर वर्कआउट देता है जिससे वजन कम करने में सहायता मिलती है।
यह आसन पेट की माँसपेशियो के खिचाव को कम करने में भी सहायक है। इस आसन से आपकी चयापचन की क्षमता भी विकसित होती है।
सूर्य नमस्कार आपकी माँसपेशियो, जोड़ो, बंधन और साथ ही कंकाल तंत्र के खिचाव और उन्हें मजबूत बनाने में सहायक है।
सूर्यनमस्कार से रीढ़ की हड्डी लचीली होती है। इस आसान के करने से इंटरनल ऑर्गन के कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।
सूर्य नमस्कार आपके शरीर में रक्त प्रवाह को विकसित करता है जिसका निखार आपको अपने चेहरे पर दिखाई देता है।
इससे चेहरे से झुर्रियो की समस्या दूर होती है और चेहरा जवां और दमकता हुआ दिखाई देता है।