भारत में यूरोपीय संघ (ईयू) प्रतिनिधिमंडल के राजदूत हर्वे डेल्फिन ने शनिवार को कहा कि रूसी तेल, ऊर्जा, बैंकिंग और रक्षा उद्योगों पर लगाए गए प्रतिबंधों का उद्देश्य वैश्विक तेल बाजार की स्थिरता बनाए रखते हुए मॉस्को की युद्ध अर्थव्यवस्था को कमजोर करना है। डेल्फिन ने एक्स पर रूस के विरुद्ध ईयू प्रतिबंध नीति में भारत स्थित रिफाइनरी को निशाना बनाने का जिक्र करते हुए जोर ‘दिया कि यह नीति देशों को रूसी तेल खरीदने से नहीं रोकती है।

भारत स्थित यह रिफाइनरी रूसी रिफाइनिंग उद्योग की अग्रणी कंपनी रोजनेफ्ट के अधीन है। ईयू दूत ने कहा, 18वें प्रतिबंध पैकेज में रूसी तेल की मूल्य सीमा 60 डॉलर प्रति बैरल से घटाकर 47.6 डॉलर प्रति बैरल की गई है, जिसक उद्देश्य यूक्रेन में रूस के सैन्य प्रयासों को बढ़ावा देने वाले राजस्व को और कम करना है।

राजस्व में और कमी आएगी
डेल्फिन ने कहा, हम नहीं चाहते कि वैश्विक तेल बाजार की आपूर्ति बाधित हो। रूसी युद्ध-अर्थव्यवस्था को पोषित/संचालित होने वाले राजस्व की मात्रा को कंम करना का एक उपाय है। डेल्फिन ने कहा कि इससे रूस को तेल निर्यात बिक्री से मिलने वाले राजस्व में और भी कमी आएगी।

भारत एकतरफा प्रतिबंध का नहीं करता समर्थन
प्रतिबंधों पर ईयू के दूतों का स्पष्टीकरण भारत द्वारा इस निर्णय पर दी गई प्रतिक्रिया के बाद आया है, जिसमें नई दिल्ली ने कहा था कि वह किसी भी एकतरफा प्रतिबंध का समर्थन नहीं करता है। भारत ने दोहरे मानदंडों से बचने पर भी जोर दिया। डेल्फिन ने कहा, बाजार मूल्यों के आधार पर समायोज्य नई सीमा रूसी तेल पर छूट प्रदान करती है, जिससे खरीदारों को लाभ होता है।