राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को मानवाधिकार दिवस के मौके पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया। जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि गरीब देशों के लोग जलवायु परिवर्तन के होने वाले पर्यावरण प्रभावों से ‘भारी कीमत’ चुकाने जा रहे हैं।
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि प्रकृति से सम्मान के साथ व्यवहार करना हमारा ना केवल नैतिक दायित्व है, बल्कि हमारे अपने अस्तित्व के लिए भी आवश्यक है। प्रकृति के साथ समान बर्ताव करना हमें सीखना होगा।उन्होंने कहा कि मनुष्यों को प्रकृति और जैव विविधता के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करना भी सीखना चाहिए और उसका अनुसरण करना चाहिए।
सभी प्राणियों के साथ समान व्यवहार पर बात करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं पूछती हूं कि अगर हमारे आसपास के जानवर और पेड़ बोल सकते तो वो हमें क्या बताते.. हमारी नदियां मानव इतिहास के बारे में क्या कहतीं और हमारे मवेशी मानवाधिकार के विषय पर क्या कहते। हमने लंबे वक्त तक उनके अधिकारों को कुचला है और अब परिणाम हमारे सामने है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कि मैंने पहले भी कहा है कि हमें न्याय की धारणा का विस्तार करने का प्रयास करना चाहिए। पिछले कुछ वर्ष में दुनिया को असामान्य मौसम प्रवृत्तियों के कारण कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है।