Sunday, November 24, 2024 at 5:55 AM

इस मौसम में बढ़ जाती हैं हार्ट फेल की समस्या, खान-पान में बरते ये सावधानियां

आज के समय में अस्पताल में भर्ती होने की दर और दिल गति रुकने (हार्ट फेल) मरीजों की मृत्युदर में अधिकता देखी गई है इन दिनों अपने दिल का ख्याल कैसे रखें, इसके लिए चिकित्सकों ने कुछ तरीका सुझाए हैंसर्दियों के इस असर की जानकारी से मरीजों  उनके परिवारवालों को लक्षणों के प्रति ज्यादा ध्यान देने के लिये प्रेरित करती है

यह पाया गया कि एआरएनआई थैरेपी जैसे उन्नत इलाज जीवनशैली में परिवर्तन के साथ  बेहतर हो सकते हैं, जिससे हार्ट फेलियर मरीजों की जिंदगी में उल्लेखनीय रूप से सुधार लाया जा सकता है

हार्ट फेलियर के लिए खतरे के कुछ कारक

वायु प्रदूषण: ठंडा मौसम, धुंध  प्रदूषक जमीन के  करीब आकर बैठ जाते हैं, जिससे छाती में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है  सांस लेने में कठिनाई पैदा हो जाती है आमतौर पर हार्ट फेल मरीज सांस लेने में तकलीफ का अनुभव करते हैं  प्रदूषक उन लक्षणों को  भी गंभीर बना सकते हैं, जिसकी वजह से गंभीर मामलो में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ सकता है

कम पसीना निकलना: कम तापमान की वजह से पसीना निकलना कम हो जाता है इसके परिणामस्वरूप बॉडी अलावा पानी को नहीं निकाल पाता है  इसकी वजह से फेफड़ों में पानी जमा हो सकता है, इससे हार्ट फेलियर मरीजों में ह्दय की कार्यप्रणाली पर गंभीर असर पड़ सकता है

विटामिन-डी की कमी: सूरज की रोशनी से मिलने वाला विटामिन-डी, दिल में स्कार टिशूज को बनने से रोकता है, जिससे हार्ट अटैक के बाद, हार्ट फेल में बचाव होता है सर्दियों के मौसम में सही मात्रा में धूप नहीं मिलने से, विटामिन-डी के स्तर को कम कर देता है, जिससे हार्ट फेल का खतरा बढ़ जाता है

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