कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा में सोमवार को उस समय हंगामा मच गया, जब विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले का विरोध किया। विधानसभा अध्यक्ष बिमान बंदोपाध्याय ने भाजपा विधायक दीपक बर्मन को शेष सत्र के लिए निलंबित किया और दो अन्य भाजपा विधायकों को विधानसभा से बाहर निकालने के लिए मार्शल को आदेश दिया। इसके बाद भाजपा के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष पर पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप लगाया और सदन से वॉकआउट किया।

यह घटनाक्रम तब शुरू हुआ, जब भाजपा विधायक हिरण चटोपाध्याय ने बजट पर चर्चा के दौरान पश्चिम बंगाल लोकसेवा आयोग (डब्ल्यूबीपीएससी) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि 2011 में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से आयोग को कोई भी सार्वजनिक शिकायत क्यों नहीं मिली। चट्टोपाध्याय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भेजे गए मुख्य सचिव के एक नोट का हवाला देते हुए यह भी आरोप लगाया कि आयोग के पास शिकायतों से निपटने का कानूनी अधिकार नहीं था।

जब चट्टोपाध्याय बोल ही रहे थे, तो विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें बताया कि उनका बयान बजट पर चर्चा से जुड़ा नहीं है। फिर विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें अपनी बात खत्म करने के लिए कहा। हालांकि, चट्टोपाध्याय अपनी बात पर अड़े रहे और बोलते रहे, जिसके बाद अध्यक्ष ने उनका माइक बंद कर दिया। इसके बाद भाजपा विधायकों ने आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष विपक्ष की आवाज को दबा रहे हैं।

विधानसभा अध्यक्ष ने चट्टोपाध्याय के बयान को सदन की गरिमा का उल्लंघन माना और उसे हटाने का आदेश दिया। इस पर भाजपा विधायक शंकर घोष और मनोज ओरांव ने नारेबाजी शुरू कर दी। बार-बार चेतावनियों के बावजूद उन्होंने अपना विरोध जारी रखा, तो उन्हें सदन से बाहर निकालने के लिए मार्शल को बुलाया गया। हंगामा बढ़ने के बाद भाजपा विधायकों ने कागज फाड़कर फेंके। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विधायक दीपक वर्मन को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया। इसके बाद भाजपा के सभी विधायकों ने वॉकआउट किया और अध्यक्ष पर पक्षपात करने का आरोप लगाया।