Friday, November 22, 2024 at 10:46 AM

रोमांस के जादूगर तो एक्शन फिल्मों के मास्टर हैं आदित्य चोपड़ा, पहली फिल्म से ही मचाया था तहलका

कभी सदाबहार रोमांटिक तो कभी एक्शन से लबरेज फिल्मों से कई बार दर्शकों के दिल में उतर चुके हैं बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्माता और निर्देशक आदित्य चोपड़ा। कई बार वे अपनी फिल्मों का जादू इस कदर चला चुके हैं कि दर्शकों के बीच उनकी फिल्में आज भी बेहद लोकप्रिय हैं। उन्होंने यश राज फिल्म्स को नए मुकाम तक पहुंचाने में खास योगदान दिया है। आज फिल्म निर्माता अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। चलिए इस खास मौके पर जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें…

आदित्य चोपड़ा का जन्म 21 मई 1971 मुंबई में हुआ। आदित्य अपने पिता यश चोपड़ा की तरह ही फिल्में बनाना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने बेहद कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था। आदित्य ने महज 18 साल की उम्र में अपने पिता यश चोपड़ा के असिस्टेंट के रुप में काम करना शुरू कर दिया था। उस दौरान वे फिल्में बनाने का हुनर बारीकी से सीख रहे थे। उन्होंने पिता से साथ मिलकर श्रीदेवी, ऋषि कपूर की फिल्म ‘चांदनी’ और जैकी श्रॉफ, अमृता सिंह और जूही चावला अभिनीत फिल्म ‘आइना’ में काम किया। इसके बाद उन्होंने खुद फिल्में बनाकर निर्देशन करियर की शुरुआत करने की सोची।

आदित्य चोपड़ा ने अपने निर्देशन करियर की शुरुआत शाहरुख खान और काजोल की ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ से की। अपनी पहली फिल्म से ही उन्होंने सिनेमा जगत में तूफान ला दिया। यह फिल्म सभी रिकॉर्ड तोड़ती हुई भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे सफल फिल्मों में से एक बन गई। यह फिल्म अब तक दर्शकों के दिल में बसी हुई है। इसके बाद उन्होंने कई रोमांटिक सुपरहिट फिल्में दीं। ‘मोहब्बतें’ से उन्होंने अपने भाई उदय चोपड़ा को लॉन्च किया। ‘रब ने बना दी जोड़ी’ से उन्होंने अनुष्का शर्मा को लॉन्च किया। वहीं, एक निर्माता के रूप में आदित्य चोपड़ा ने ‘वीर-जारा’, ‘बंटी और बबली’, ‘बैंड बाजा बारात, और ‘जब तक है जान’ जैसी कई हित फिल्में दीं। आदित्य ‘टाइगर’, ‘पठान’, ‘वॉर’, ‘मर्दानी-मर्दानी 2’ जैसी कई एक्शन फिल्में भी दे चुके हैं।

आदित्य चोपड़ा को बहुप्रतिभाशाली कहा जाए तो गलत नहीं होगा। उन्होंने निर्देशन के अलावा कई कविताएं और डायलॉग भी लिखे हैं। साथ ही उन्होंने कई जॉनर की फिल्में दर्शकों को दीं। निर्देशक और निर्माता के साथ-साथ आदित्य एक कुशल लेखक भी हैं और उन्होंने अपनी कई फिल्मों के प्रसिद्ध संवाद लिखे हैं, जैसे डीडीएलजे में ‘ऐसा पहली बार हुआ 17-18 सालों में’, ‘जब तक है जान’ में ‘तेरी आंखों की नमकीन मस्तियां’ और ‘धूम 3’ में ‘बंदे हैं हम उसके’। बचपन में आदित्य एपीडी डिसऑर्डर से जूझ रहे थे। इस बीमारी के कारण बच्चा ठीक से आवाज नहीं सुन पाता है, क्योंकि उसका दिमाग अलग-अलग आवाज को ठीक से पहचान नहीं सकता। ऐसे में आदित्य को किशोर अवस्था में काफी दिक्कतें झेलनी पड़ी थीं।

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