नई दिल्ली:केरल में ईडी के अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले व्यवसायी की मुश्किलें बढ़ रही हैं। ईडी सूत्रों का दावा है कि व्यवसायी रिश्वत मामले में ईडी अधिकारी के खिलाफ कोई सबूत नहीं दे पाया है। हाल ही में कारोबारी ने केंद्रीय एजेंसी के सामने बयान दर्ज कराया है।

पिछले महीने व्यवसायी अनीश बाबू की शिकायत पर एर्नाकुलम में केरल सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (वीएसीबी) कार्यालय ने ईडी के कोच्चि कार्यालय में कार्यरत के एक सहायक निदेशक रैंक के अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। अधिकारी पर आरोप लगाया गया था कि कुछ निजी व्यक्तियों ने व्यापारी से संपर्क किया और ईडी द्वारा उनके खिलाफ जांच की जा रही मार्च 2021 में दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले को निपटाने के एवज में उनसे दो करोड़ रुपये की मांग की।

इस मामले में ईडी ने व्यवसायी को समन जारी किया था और गवाही देने के लिए बुलाया था। समन के खिलाफ बाबू ने केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद केरल उच्च न्यायालय ने उन्हें 30 मई को एजेंसी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था, लेकिन वह इसमें शामिल नहीं हुए और छह जून के लिए जारी दूसरे समन पर पेश हुए।

व्यवसायी अनीश बाबू ने छह जून को दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष गवाही दी। सूत्रों ने बताया कि व्यापारी ने बयान दर्ज कराते समय रिश्वत मामले में किसी भी ईडी अधिकारी की संलिप्तता की जानकारी से इनकार किया था और कहा था कि वह केवल विल्सन नामक व्यक्ति को जानते हैं। सूत्रों ने आरोप लगाया कि बाबू को केरल में तैनात ईडी अधिकारियों को फंसाने के लिए किसी व्यक्ति ने कहा था। ईडी और उसके अधिकारियों के खिलाफ आरोप उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास था।

केरल सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (वीएसीबी) ने विल्सन को बाबू से उनके खिलाफ ईडी के मामले को निपटाने के लिए 2 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। जब बाबू से उनके और विल्सन के बीच सौ से अधिक व्हाट्सएप कॉल होने के दावे के बारे में सबूत मांगे गए तो वह कोई सबूत नहीं दे सके।