नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को अटारी में 2,700 करोड़ रुपये मूल्य की 532 किलोग्राम हेरोइन और 52 किलोग्राम मिश्रित नशीले पदार्थों की जब्ती से संबंधित कथित नार्को आतंकवाद मामले में एक आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस एमएम सुंदरेश और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने तारिक अहमद लोन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस की दलीलों से सहमत होने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उन्हें जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि उनके पास से प्रतिबंधित पदार्थ बरामद नहीं हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आरोप बहुत गंभीर हैं
पीठ ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, आरोप बहुत गंभीर हैं। बता दें कि, आरोपियों पर 2019 में अटारी एकीकृत चेक पोस्ट के माध्यम से पाकिस्तान से भारत में प्रतिबंधित पदार्थ की तस्करी करने का आरोप लगाया गया था और उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा के निवासी तारिक अहमद लोन ने मामले में जमानत देने से इनकार करने वाले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के 4 अक्तूबर, 2024 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया।
मोहाली की विशेष NIA अदालत ने खारिज की थी याचिका
मोहाली की एक विशेष एनआईए अदालत ने 11 फरवरी, 2021 को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने आगे तर्क देते हुए जमानत मांगी कि जिस ट्रक में प्रतिबंधित पदार्थ कथित तौर पर तस्करी करके लाए गए थे, वह गोदाम उनके मुवक्किल का नहीं था। उन्होंने कहा कि मामले में चार सह-आरोपियों को जमानत दी गई थी। हालांकि, पीठ ने परिस्थितियों में बदलाव के मामले में तारिक अहमद लोन को नए सिरे से जमानत याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी।
कैसे हुई नशीले पदार्थों की बरामदगी
एनआईए ने आरोप लगाया कि 26 जून, 2019 की शाम को एक पाकिस्तानी ट्रक मेसर्स कनिष्क एंटरप्राइजेज के गुरपिंदर सिंह की तरफ से पाकिस्तान से आयातित और मेसर्स ग्लोबल विजन इम्पेक्स की तरफ से निर्यात किए गए घोषित सेंधा नमक की खेप के साथ भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया। एनआईए ने कहा कि खेप की जांच करने पर, 16 पॉलीप्रोपाइलीन बैग में सफेद रंग का पाउडर/दानेदार पदार्थ पाया गया, जिसमें मादक पदार्थ यानी हेरोइन होने का संदेह था। जांच में पता चला कि इस खेप में हेरोइन और मिश्रित नशीले पदार्थ थे, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत हजारों करोड़ रुपये है।