Friday, November 22, 2024 at 11:55 PM

30 साल पहले गुजर चुकी लड़की के लिए दूल्हे की तलाश, जानें इस विज्ञापन के पीछे की पूरी कहानी

नई दिल्ली:   कर्नाटक में एक परिवार ने विज्ञापन निकाला कि उन्हें 30 साल पहले मर चुके एक दूल्हे की तलाश है, अपनी 30 साल पहले मर चुकी बेटी के लिए। इसके बाद से शहर भर में इस विज्ञापन ने सनसनी मचा दी है। कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के एक परिवार द्वारा अखबार में दिए गए विज्ञापन के एक हिस्से में लिखा है, “30 साल पहले गुजर चुके दूल्हे की तलाश उस दुल्हन के लिए की जा रही है, जिसकी मौत 30 साल पहले हो चुकी है।” जो कि शहर में चर्चा का विषय बन गया है।

दक्षिण कन्नड़ जिले के पुत्तूर में एक परिवार से अपनी 30 साल पहले मर चुकी बेटी की शादी करवाने के लिए यह विज्ञापन दिया। उनका मानना है कि उनकी मृत बेटी अविवाहित है, जो कि उनके दुर्भाग्य का कारण है। इसलिए वे उसकी शादी करवाना चाहते हैं। वे मानते हैं कि 30 साल पहले जब विपत्ति आई थी, तब उनकी नवजात बेटी की मौत हो गई थी। इसके बाद से उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

वे बताते हैं कि समस्या का कारण पूछने पर किसी ने बताया था कि उनकी मृत बेटी की आत्मा अस्थिर है, जो कि उनकी परेशानियों की जड़ है। उसकी आत्मा को शांति देने के लिए परिवार ने उसकी शादी कराने का फैसला किया। मृत बेटी के लिए दूल्हा ढूंढने के लिए माता-पिता ने अखबार में विज्ञापन छपवाया।

विज्ञापन में लिखा है, “30 साल पहले गुजर चुके दूल्हे की तलाश है, 30 साल पहले गुजर चुकी दुल्हन के लिए। प्रेथा मडुवे (आत्माओं की शादी) की व्यवस्था करने के लिए कृपया इस नंबर पर कॉल करें।”
मृत बेटी के माता-पिता का कहना है कि रिश्तेदारों और दोस्तों के बहुत प्रयासों के बावजूद उस उम्र और जाति का मृत दूल्हा नहीं मिल रहा था। इसलिए फिर विज्ञापन छपवाना पड़ा है।

यह अपरंपरागत प्रथा तुलुनाडु में एक दीर्घकालिक परंपरा है। बता दें कि कर्नाटक के तीन तटीय जिलों और केरल के पड़ोसी कासरगोड जिले के हिस्से में फैला हुआ है जहां स्थानीय बोली तुलु बोली जाती है। यहां मृत व्यक्तियों के लिए विवाह की व्यवस्था करना गहरा भावनात्मक महत्व रखता है। तुलुवा लोककथा विशेषज्ञों के अनुसार, दिवंगत लोग अपने परिवारों से जुड़े रहते हैं। उनके सुख-दुख में भागीदार होते हैं। परिणामस्वरूप, ‘वैकुंठ समारधने’ और ‘पिंड प्रदान’ जैसे अनुष्ठानों को भोजन और दिवंगत आत्माओं के लिए विवाह जैसी परंपराएं त्याग दी जाती है।

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