फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफ.ए.टी.एफ. की मीटिंग इसी महीने के आखिर में होने जा रही है। इस बार भी दुनिया की नजरें पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में रहने या बाहर आने पर रहेंगी।
एफ.ए.टी.एफ. की मीटिंग में बहुत सख्ती से इस बात पर गौर किया जाएगा कि इमरान खान सरकार ने टैरर फाइनैंसिंग और बड़े आतंकियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की वह सबूत मुहैया नहीं कराता तो 4 साल बाद भी उसका ग्रे लिस्ट में रहना तय है।
इस लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है, जिन पर टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने या इनकी अनदेखी का शक होता है। इन देशों को कार्रवाई करने की सशर्त मोहलत दी जाती है। इसकी मॉनिटरिंग की जाती है। कुल मिलाकर आप इसे ‘वॉर्निंग विद मॉनिटरिंग’ कह सकते हैं।