हैदराबाद: बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव आयोग को घेरा है। उन्होंने कहा कि बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण की आड़ में मतदाताओं से दुर्व्यवहार और जबरन वसूली की जाएगी। क्योंकि वहां कई मतदाता चुनाव आयोग के नागरिकता के मनमाने दस्तावेजी प्रमाण को पूरा नहीं करते हैं।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि चुनाव आयोग ने बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण अचानक शुरू कर दिया और बाद में लक्ष्य बदल दिया। आयोग ने पहले दस्तावेज की मांग की और फिर गणना प्रपत्र मांगे। अब यहां मतदाता केवल इसलिए दुर्व्यवहार और जबरन वसूली के शिकार होंगे क्योंकि वे नागरिकता के दस्तावेजी प्रमाण की चुनाव आयोग की मनमानी सूची को पूरा नहीं करते हैं।
विपक्षी दलों ने किया विरोध
बिहार एसआईआर को लेकर रविवार को विपक्ष ने केंद्र और चुनाव आयोग पर निशाना साधा। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि असली मुद्दा नागरिकता है, जिसे राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। वहीं, राजद सांसद मनोज झा ने आरोप लगाया कि इतने बड़े फैसले पर किसी भी राजनीतिक दल से कोई सलाह नहीं ली गई।
एसआईआर पर क्यों हो रहा विवाद
24 जून को चुनाव आयोग ने बिहार में एसआईआर का निर्देश दिया था। यह 25 जून से 26 जुलाई 2025 के बीच होना था। चुनाव आयोग का कहना है कि मतदाता सूची में फर्जी, अयोग्य और दो जगहों पर पंजीकृत मतदाताओं को हटाने के उद्देश्य से पुनरीक्षण किया जा रहा है। वहीं, विपक्षी दलों का आरोप है कि चुनाव आयोग इस विशेष गहन पुनरीक्षण के जरिए पिछले दरवाजे से लोगों की नागरिकता की जांच कर रहा है। साथ ही विपक्ष का आरोप है कि इसकी आड़ में बड़े पैमाने पर लोगों से मतदान का अधिकार छीना जा सकता है।
हालांकि, चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया है कि अगर कोई व्यक्ति मतदाता सूची से बाहर हो जाए, तो इसका मतलब यह नहीं होगा कि उसकी नागरिकता समाप्त हो गई है। चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि कानून और संविधान के तहत उसे यह अधिकार प्राप्त है कि वह नागरिकता से जुड़े दस्तावेज मांग सके, ताकि लोगों को मताधिकार मिल सके।