Saturday, November 23, 2024 at 1:56 PM

पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले का मिडलमैन, 5 रिजॉर्ट-होटल, 120 लैंड पार्सल व 29 फ्लैट

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), कोलकाता जोनल कार्यालय ने पश्चिम बंगाल राज्य सरकार में डब्ल्यूबीसीएसएससी के अधिकारियों द्वारा ग्रुप ‘सी’ और ‘डी’ स्टाफ भर्ती घोटाले में 163.20 करोड़ रुपये के होटल/रिसॉर्ट और अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया है। ये संपत्तियां मुख्य बिचौलिए प्रसन्ना कुमार रॉय और उनकी पत्नी काजल सोनी रॉय के नाम पर बताई गई हैं। इसमें मेसर्स श्री दुर्गा डीलकॉम प्राइवेट लिमिटेड भी शामिल है। यह कंपनी भी प्रसन्न कुमार रॉय द्वारा नियंत्रित और संचालित है। कुर्क की गई संपत्तियों में 5 होटल/रिसॉर्ट्स शामिल हैं। इनके अलावा 120 लैंड पार्सल व 29 फ्लैट भी बताए जाते हैं। ईडी ने इस मामले में अभी तक कुल 544.8 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है।

जांच एजेंसी के मुताबिक, कुर्क किए गए होटल/रिसॉर्ट्स में हावड़ा के श्यामपुर में स्थित चलंकिता रिज़ॉर्ट, सुंदरबन में स्थित रॉयल बंगाल रिज़ॉर्ट, दीघा में स्थित होटल मिली (रुबीना), जलपाईगुड़ी में स्थित होटल मूर्ति और अलीपुरद्वार में स्थित बांस विलेज रिज़ॉर्ट शामिल हैं। मेसर्स श्री दुर्गा डीलकॉम प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर 120 भूमि पार्सल, प्रसन्ना कुमार रॉय के नाम पर 64 भूमि पार्सल और 12 फ्लैट/कार्यालय/दुकानें हैं। 34 भूमि पार्सल और 17 फ्लैट/कार्यालय/दुकानें, काजल सोनी रॉय के नाम पर हैं। ईडी द्वारा पश्चिम बंगाल सरकार में ‘सी’ और ‘डी’ के पदों पर अयोग्य लोगों को नियुक्ति देने के मामले की जांच की जा रही है। कथित अवैध नियुक्ति के मामले में भारतीय दंड संहिता, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत सीबीआई द्वारा दो एफआईआर दर्ज की गई थी। इसी आधार पर ईडी ने मामले की जांच प्रारंभ की थी।

जांच में सामने आया कि गैर-सूचीबद्ध और नीचे रैंक वाले उम्मीदवारों को नौकरी दे दी गई, जबकि योग्य और वास्तविक उम्मीदवार वंचित कर दिए गए। आरोपों में कहा गया है कि इस मामले में निष्पक्षता बरकरार रखे बिना ही विभिन्न व्यक्तियों द्वारा आपराधिक साजिश रचकर और संबंधित नियमों का उल्लंघन कर नियुक्ति प्रदान की गई। सीबीआई के आरोप पत्रों से पता चला कि कुल 3432 (ग्रुप ‘सी’ के लिए 1125 और ग्रुप ‘डी’ के लिए 2307) कर्मचारियों को डब्ल्यूबीसीएसएससी के अधिकारियों द्वारा ग्रुप ‘सी’ और ‘डी’ स्टाफ के पद के लिए अवैध रूप से नियुक्त/अनुशंसित किया गया था। इस आपराधिक साजिश में कई दूसरे लोग भी शामिल थे।

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