ताइवान की मदद करने की वजह से चीन ने लिथुआनिया के साथ अपने राजनयिक संबंधों को नीचे कर दिया है। दरअसल, बाल्टिक देश ने ताइवान को अपने यहां एक प्रतिनिधित्व कार्यालय खोलने की अनुमति दे दी है और इसी वजह से चीन नाराज हो गया है।
नाराज चीन ने लिथुआनिया के राजदूत को निष्कासित करते हुए अपने देश वापस बुला लिया। चीन का का कहना है कि ताइवान के पास विदेशों के साथ संबंध स्थापित करने का कोई अधिकार नहीं है।
चीन उन देशों के साथ आधिकारिक संबंध रखने से इनकार करता है जो ताइवान को एक संप्रभु देश के तौर पर मान्यता देते हैं। उसने 15 देशों को ताइवान से संबंध खत्म करने के लिए राजी कर लिया है। इनमें से ज्यादातर अफ्रीका और लातिन अमेरिका में छोटे और गरीब देश हैं।