Sunday, November 24, 2024 at 9:46 AM

महिलाओं के खिलाफ अपराध में यौन उत्पीड़न साक्ष्य किट अपनाने की मांग, मुख्य न्यायाधीश को लिखी चिट्ठी

कोलकाता:  कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले से महिला सुरक्षा का मुद्दा फिर से गरमा गया है। इसी बीच पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) और वरिष्ठ अधिवक्ता पिंकी आनंद ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा है। इस पत्र में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में तुरंत कार्रवाई की सुविधा के लिए यौन उत्पीड़न साक्ष्य किट अपनाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही यौन उत्पीड़न नर्स परीक्षकों की नियुक्ति का भी सुझाव दिया गया है। अपने पत्र में पिंकी आनंद ने मुख्य न्यायाधीश के साथ कई अन्य सिफारिशें साझा की हैं। हालांकि पत्र में उन्होंने लिखा कि ये सुझाव संपूर्ण नहीं हैं और जरूरत पड़ने पर वह इन सिफारिशों पर अतिरिक्त जानकारी उपलब्ध करा सकती हैं।

क्या होती है यौन उत्पीड़न साक्ष्य किट
यौन उत्पीड़न जैसे अपराध में अपराध स्थल से ही डीएनए साक्ष्य इकट्ठा किए जा सकते हैं, जिससे दोषी को सजा दिलाने में काफी मदद मिलती है। अपराध स्थल से संभावित डीएनए साक्ष्य को इकट्ठा करने और उसे संरक्षित करने में यौन उत्पीड़न साक्ष्य किट अहम साबित हो सकती है। इसे दुष्कर्म किट के तौर पर भी जाना जाता है। इस दुष्कर्म किट में एक कंटेनर जिसमें एक चेकलिस्ट, सामग्री और जरूरी दिशा-निर्देश होते हैं। साथ ही जांच के दौरान इकट्ठा किए गए किसी भी नमूने को पैक करने के लिए लिफाफे और कंटेनर भी होते हैं। किट की सामग्री राज्य और अधिकार क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होती है।

यौन उत्पीड़न नर्स परीक्षकों की नियुक्ति का भी सुझाव
आमतौर पर हर अस्पताल या स्वास्थ्य सुविधा में ऐसा कोई कर्मचारी नहीं होता जो यौन उत्पीड़न फोरेंसिक जांच करने और यौन उत्पीड़न के हाल ही में पीड़ितों से बातचीत करने के लिए प्रशिक्षित हो। इस स्थिति में यौन उत्पीड़न नर्स परीक्षक की भूमिका अहम हो जाती है। ये पंजीकृत नर्स होती हैं, जो यौन उत्पीड़न की स्थिति में पीड़िता से बातचीत करने और फोरेंसिक साक्ष्य इकट्ठा करने के लिहाज से प्रशिक्षित होती हैं। इनकी मदद से दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने में मदद मिलेगी।

कोलकाता पुलिस आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई की मांग
पश्चिम बंगाल से भाजपा सांसद सौमित्र खान ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया है कि वे ‘पश्चिम बंगाल में न्याय और कानून प्रवर्तन की स्थिति में सुधार लाने के लिए तत्काल कार्रवाई करें तथा न्याय प्रणाली को प्रभावी ढंग से बनाए रखने में विफल रहने के लिए कोलकाता पुलिस आयुक्त के खिलाफ उचित कार्रवाई करें।’

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