अगर आप भी कच्चा प्याज खाने के शौकीन हैं और सलाद में खीरा, टमाटर के साथ प्याज काटना बिल्कुल नहीं भूलते तो अगली बार ऐसा करने से पहले थोड़ा सतर्क हो जाएं। जी हां, अमेरिका में इन दिनों साल्मोनेला के कीटाणु से होने वाले रोगों का खतरा बढ़ गया है।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) ने इसके लिए कच्ची प्याज में पाए जाने वाले साल्मोनेला को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि लाल, सफेद और पीले रंग की प्याज इस प्रकोप के लिए दोषी है। आइए जानते हैं आखिर क्या है साल्मोनेला, इसके लक्षण,बचाव के उपाय और यह कैसे आपके शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
क्या है साल्मोनेला? – साल्मोनेला बैक्टिरिया के ग्रुप का नाम है, जो आपकी आंतों को प्रभावित करती है। यह एक प्रकार का बैक्टीरिया है, जो भोजन से जुड़ी बीमारियों का कारण बनता है। इस बैक्टीरिया से दूषित खाद्य पदार्थ खाने से व्यक्ति की आंतें बुरी तरह से प्रभावित होती हैं, जिससे पेट से संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।बैक्टीरिया की वजह से होने वाली बीमारियों को साल्मोनेलोसिस कहा जाता है।
साल्मोनेला बैक्टीरिया के लक्षण- साल्मोनेला बैक्टीरिया के लक्षण कुछ घंटे या फिर 2 से 3 दिन के भीतर नजर आ सकते हैं। इसमें व्यक्ति को पेट में दर्द, मतली, उल्टी, दस्त, बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द , मल में खून आना शामिल है।
साल्मोनेला बैक्टिरिया के साइडइफेक्ट्स- टाइफाइड साल्मोनेला बैक्टीरिया से फैलने वाली खतरनाक बीमारी है। अगर यह बैक्टीरिया ब्लड स्ट्रीम में पहुंच गए, तो निश्चित तौर पर यह मास्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के ऊतकों, हार्ट, बोन, बोन मैरो और ब्लड वेसेल्स की लाइनिंग को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा साल्मोनेला में व्यक्ति को कई महीनों तक जोड़ों में दर्द भी महसूस हो सकता है।
साल्मोनेला बैक्टीरिया का इलाज- साल्मोनेला बैक्टीरिया में उलटी और डायरिया की वजह से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। यही वजह है कि इस इन्फेक्शन से पीड़ित रोगी को ग्लूकोज़ चढ़ाने के साथ तरल पदार्थ और इलेकट्रोलाइट दिए जाते हैं।जिसके बचाव के लिए डॉक्टर रोगी को एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं।