नई दिल्ली: बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की ओर से विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) विवाद को लेकर आगामी बिहार चुनावों के बहिष्कार की धमकी के बाद सियासी बवाल मच गया है। इस पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि अगर विपक्ष चुनाव बहिष्कार की बात कर रहा है, तो इसका मतलब है कि वे हार मान रहे हैं।
रामदास अठावले ने क्या कहा?
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, ‘अगर वे चुनाव बहिष्कार की बात कर रहे हैं, तो इसका मतलब है कि वे हार मान रहे हैं। बिहार में चुनाव आयोग की ओर से जारी आदेश के कारण विपक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। आदेश में जन्म प्रमाण पत्र अनिवार्य है। जन्म प्रमाण पत्र की शर्त सभी पर लागू होती है, जिसमें वोट प्राप्त करने वाले भी शामिल हैं। विपक्ष का यह आरोप कि मतदाताओं को परेशान किया जा रहा है, गलत है। सर्वोच्च न्यायालय जो भी कहेगा, वह लागू होगा।’
तेजस्वी यादव ने क्या कहा?
इससे पहले तेजस्वी यादव ने गुरुवार को एसआईआर पर विवाद के मद्देनजर आगामी बिहार चुनावों के बहिष्कार की चेतावनी दी। मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा, ‘जब पहले से ही तय था कि लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे और जब इन्हीं मतदाताओं ने पहले प्रधानमंत्री मोदी को वोट दिया था और सरकार का भविष्य तय किया था, तब तो सब ठीक था। हम अचानक ‘SIR’ की जरूरत के बारे में पूछ रहे हैं। इसका मतलब है कि सत्ता में बैठे लोग मान रहे हैं कि वे पहले छल करके सत्ता में आए थे और अब वही दोहराया जाएगा। जब उन्होंने बेईमानी करने का फैसला कर लिया है, तो हम चुनाव बहिष्कार पर चर्चा कर सकते हैं। हमारे पास यह विकल्प है।’
‘लोकतंत्र में लोग वोट ही नहीं देंगे तो चुनाव का क्या मतलब’
उन्होंने कहा, ‘अगर लोकतंत्र में लोग वोट ही नहीं देंगे तो चुनाव का क्या मतलब है? चुनाव बहिष्कार का विकल्प हमारे पास खुला है। मुख्य दांव 1 अगस्त के बाद चुनाव आयोग की ओर से खेला जाएगा, जब जांच पूरी हो जाएगी।’ उन्होंने दावा किया कि राज्य को नई दिल्ली से रिमोट के जरिए कंट्रोल किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मतदाता सूची पुनरीक्षण के आदेश दे रहे हैं।’