Tuesday, October 8, 2024 at 4:35 AM

कैसे मिलते हैं सिद्धिविनायक मंदिर में दर्शन? जानें कब और किस गेट से मिलेगा आपको प्रवेश

गणेशोत्सव की शुरुआत 7 सितंबर 2024 से हो रही है। इस दिन गणेश चतुर्थी है। कहते हैं कि गणेश चतुर्थी तिथि को ही भगवान गणेश की उत्पत्ति मां पार्वती ने की थी, इसलिए इस तिथि को उनके जन्मदिन के तौर पर मनाते हैं। इसी के साथ 10 दिन का गणेश उत्सव मनाया जाता है।

देश के लगभग सभी गणेश मंदिरों में भव्य आयोजन होता है। धूमधाम से गणपति पूजा की जाती है। इस दौरान देश के सबसे प्रमुख और प्राचीन गणेश मंदिरों में से एक मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में सेलिब्रिटी से लेकर आम लोग तक दर्शन के लिए पहुंचते हैं।यहां हमेशा ही भक्तों की भीड़ रहती है। अगर आप गणपति उत्सव में मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो ये जान लें कि यहां तक कैसे पहुंचे और आम लोगों सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन कैसे मिलेंगे।

महाराष्ट्र के मुंबई शहर में भगवान गणेश का प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर स्थित है। इस मंदिर का नाम सिद्धिविनायक इसलिए पड़ा क्योंकि यहां गणेश प्रतिमा की सूंड दाईं ओर मुड़ी हुई है। इस तरह की गणपति प्रतिमा वाले मंदिर को सिद्धिपीठ माना जाता है। वहीं भगवान गणेश का एक नाम विनायक भी है, इस कारण मंदिर का नाम ‘सिद्धिविनायक’ पड़ा। मंदिर का निर्माण 19 नवंबर 1801 को हुआ था।

सिद्धिविनायक मंदिर कैसे पहुंचें

सिद्धिविनायक मंदिर पहुंचने के लिए आप मुंबई की लोकल ट्रेन, कैब, या बस का उपयोग कर सकते हैं। यह मंदिर दक्षिण मुंबई में स्थित है। अगर आप लोकल ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं, तो आपको दादर रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा। वहां से आप टैक्सी के माध्यम से प्रभादेवी जा सकते हैं, जहां मंदिर स्थित है। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी मात्र 15 मिनट की है, जिसे आप चाहें तो पैदल भी तय कर सकते हैं।

सिद्धिविनायक मंदिर में दर्शन का समय

सिद्धिविनायक मंदिर के कपाट सुबह 5:30 बजे से रात 9:50 बजे तक भक्तों के लिए खुले रहते हैं। इस अवधि में भक्त मंदिर में दर्शन के लिए जा सकते हैं। विशेष रूप से मंगलवार के दिन मंदिर में भारी भीड़ होती है, इसलिए इस दिन दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को तैयार रहना चाहिए।

सिद्धिविनायक मंदिर में प्रवेश के नियम

सिद्धिविनायक मंदिर में प्रवेश के दो मुख्य मार्ग हैं: सिद्धि द्वार और रिद्धि द्वार। सिद्धि द्वार से मुफ्त प्रवेश की अनुमति है, इसलिए इस द्वार पर हमेशा भारी भीड़ होती है। दूसरी ओर, रिद्धि द्वार पर अपेक्षाकृत कम भीड़ होती है, क्योंकि इस द्वार से प्रवेश के लिए शुल्क लिया जाता है।

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