Saturday, November 23, 2024 at 7:35 AM

क्या आपका बच्चा भी अक्सर स्कूल जाने से कतराता है? कहीं वह स्कोलियोनोफोबिया का शिकार तो नहीं

आपने भी अक्सर बच्चों को स्कूल जाने से कतराते हुए देखा होगा। शायद आपके साथ भी बचपन में ऐसा हुआ हो। पेट दर्द का बहाना करना हो या किसी अन्य तरीके से स्कूल जाने से बचना बच्चों की सामान्य आदत है, पर अगर आपका बच्चा अक्सर ऐसा करता है तो इसपर गंभीरता से ध्यान देना जरूरी हो जाता है। स्कूल जाने का ये डर कहीं किसी मनोवैज्ञानिक विकार या फोबिया के कारण तो नहीं है?

बच्चों के अक्सर स्कूल जाने से बचने की इस समस्या को मेडिकल साइंस में ‘स्कोलियोनोफोबिया’ के नाम से जाना जाता है। इसमें उनके मन में स्कूल को लेकर खौफ बन जाता है। वैसे तो इसे कोई मानसिक बीमारी के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है और इसका कोई क्लीनिकल डाइग्नोसिस भी नहीं है हालांकि इसके कारणों का पता लगाना बहुत जरूरी हो जाता है।

कुछ मामलों में इसे चिंता विकार के लक्षण के रूप में भी जाना जाता है। स्कूल फोबिया से पीड़ित बच्चे अक्सर स्कूल जाने के विचार से शारीरिक रूप से बीमार भी हो जाते हैं और स्कूल का समय खत्म होने के बाद ठीक भी हो जाते हैं।अगर आपका बच्चा भी इसका शिकार है तो समय रहते सतर्क हो जाइए।

क्या है स्कोलियोनोफोबिया?

स्कोलियोनोफोबिया, स्कूल जाने को लेकर बच्चों के मन में बना डर है जिसका असर लंबे समय तक रह सकता है। वैसे तो बच्चे कभी न कभी स्कूल जाने में अनिच्छुक होते हैं, लेकिन स्कोलियोनोफोबिया वाले बच्चे स्कूल जाने के विचार से ही असुरक्षित या चिंतित महसूस कर सकते हैं। वे शारीरिक रूप से बीमार भी हो सकते हैं।

अगर आपका बच्चा स्कूल जाने के समय रोने लगता है, नखरे करता है या बीमार हो जाता है तो इस स्थिति पर ध्यान दिया जाना चाहिए। डॉक्टर्स का मानना है कि इस तरह की समस्या उन बच्चों में अधिक देखी जाती है जिनका देखभाल करने वाले या माता-पिता ओवरप्रोटेक्टिव (अत्यधिक सुरक्षात्मक) हों।

स्कोलियोनोफोबिया की क्या पहचान है?

आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि स्कूल फोबिया लगभग दो से पांच प्रतिशत बच्चों को प्रभावित करता है, यानी हर 20 बच्चों में से एक को ये समस्या हो सकती है। यह पांच से आठ साल के छोटे बच्चों में सबसे आम है। कई बच्चों में स्कोलियोनोफोबिया के प्राथमिक लक्षण शारीरिक होते हैं। जब वे स्कूल जाने के बारे में सोचते हैं, तो बच्चों को दस्त, सिरदर्द, मतली और उल्टी, पेटदर्द, कंपकंपी या अनियंत्रित कंपन जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।

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