Friday, November 22, 2024 at 3:49 PM

सिचुआन में बांध के निर्माण को लेकर बौद्ध भिक्षुओं का विरोध प्रदर्शन, 100 लोग गिरफ्तार; जानिए पूरा मामला

चीन अक्सर अपने आक्रामक रुख के लिए सुर्खियों में रहता है। आए दिन चीन अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद को लेकर बवाल खड़ा करता रहा है। अब चीन के सुरक्षा अधिकारी अपने ही देश के भीतर उठ रही विरोध की आवाज को कुचलने का काम कर रहे हैं। दक्षिण-पश्चिमी सिचुआन प्रांत में एक विशाल बांध के निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन को दबाने के लिए चीन के सुरक्षा बलों ने 100 से अधिक बौद्ध भिक्षुओं और स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया है। तमाम प्रदर्शनकारियों का मानना है कि अगर यहां बांध का निर्माण होता है, तो जल क्षेत्र में छह बौद्ध मठ डूब जाएंगे और दो गांवों को विस्थापित होना पड़ेगा।

बांध परियोजना के खिलाफ चीन में उठी आवाज
गौरतलब है कि 14 से गार्जे तिब्बती स्वायत्त प्रांत में डेगे काउंटी के वांगबुडिंग टाउनशिप की सड़कों पर स्थानीय लोगों द्वारा ड्रिचु नदी पर 2240 मेगावाट के गंगटुओ जलविद्युत स्टेशन परियोजना का विरोध किया जा रहा है। हालांकि सरकार द्वारा संचालित चीनी मीडिया ने गुरुवार ने कहा कि बांध यांग्त्जी नदी के ऊपरी हिस्से पर स्थि है, जो चीन के सबसे जरूरी जलमार्गों में से एक है। 14 फरवरी से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल 300 से अधिक तिब्बत के लोगों को सुरक्षा बलों के दमन का समाना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी सिचुआन में कार्दजे तिब्बती स्वायत्त प्रांत में हुई, जो तिब्बतियों की एक बड़ी आबादी वाला क्षेत्र है।

बांध के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पानी की बौछारें
बांध के निर्माण के खिलाफ उठी आवाज को दबाने के लिए चीनी सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछारें, काली मिर्च स्प्रे जैसे चीजों का इस्तेमाल किया। विरोध प्रदर्शन में कई बौद्ध भिक्षु शामिल हैं। चीन द्वारा जारी वीडियो में भिक्षुओं को सुरक्षा अधिकारियों के सामने झुकते हुए दिखाया गया है। विरोध प्रदर्शन वीडियो में काले कपड़े पहने चीनी अधिकारियों को भिक्षुओं को जबरन रोकते हुए दिखाया गया है, जिन्हें बांध के खिलाफ विरोध करते हुए सुना जा सकता है। आरएफए की रिपोर्ट में कहा गया है कि गंगटुओ जलविद्युत बांध के निर्माण से डेगे काउंटी में ऊपरी वोंटो और शिपा गांवों, येना, वोंटो और खारधो मठों और चामडो टाउनशिप में रबटेन, गोंसार और ताशी मठों के पुनर्वास को मजबूर होना पड़ेगा।

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