बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा सांसद सुशील मोदी ने सरकार से मांग की है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। सुशील मोदी ने कहा, भारत देश में इस तरह की चीजों न कोई मान्यता है और न ही स्वीकार किया जाता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 में संबंधित कानून को समाप्त करके समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था, लेकिन अभी भी समान लिंग के व्यक्तियों के बीच विवाह को कोई कानूनी मंजूरी नहीं मिल पाई है।
इस मसले पर राज्यसभा में बोलते हुए भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा “भारत के भीतर समान लिंग विवाह को देश में विवाह वाले कानूनों द्वारा न तो मान्यता प्राप्त है और न ही स्वीकार्य है। क्योंकि यह देश में निजी कानूनों के संतुलन की दृष्टि से पूर्ण विनाश का कारण होगा।” उन्होंने तर्क दिया कि गोद लेने, घरेलू हिंसा, तलाक और वैवाहिक घर में रहने के अधिकार से संबंधित कानून “पुरुषों और महिलाओं के बीच विवाह की संस्था” से जुड़े हैं।
भाजपा सांसद ने कहा कि इस मुद्दे पर अदालत में फैसला नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, विवाह एक ऐसी संस्था है जिसमें पुरुष और महिला दोनों एक साथ रहते हैं और बच्चे पैदा करके अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाते हैं।