नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को धनशोधन मामले में जांच और गिरफ्तारी से राहत के लिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का रुख करने को कहा है। बता दें कि यह मामला छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले से जुड़ा है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से मनी लॉन्ड्रिंग की जांच की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची, ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि वह इस मामले की शीघ्र सुनवाई करे और दोनों याचिकाकर्ताओं की मांगों पर जल्द निर्णय दे।
क्या है पूरा मामला?
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे ने यह याचिका दायर की थी कि उन्हें इस मामले में न तो गिरफ्तार किया जाए और न ही ईडी की तरफ से परेशान किया जाए। उन्होंने जांच की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं।
पीएमएलए कानून को दी गई चुनौती
इसके अलावा दोनों ने यह भी याचिका दाखिल की थी कि धनशोधन निवारण अधिनियम की कुछ धाराओं को असंवैधानिक घोषित किया जाए, खासकर वे धाराएं जो ईडी को गिरफ्तारी और जांच के लिए शक्ति देती हैं। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस विषय में अलग से नई याचिका दायर की जाए, जिसे 6 अगस्त को शीर्ष अदालत में सुना जाएगा।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद को गिरफ्तारी से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने शराब, कोयला और महादेव सट्टा एप घोटालों में नाम सामने आने के बाद अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी।