प्रयागराज;अपना रौद्र रूप दिखाने के बाद गंगा और यमुना का जलस्तर फिलहाल स्थिर हो गया है। हालांकि बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्थिति जस की तस है। बाढ़ राहत शिविरों में लोग शरण लिए हुए हैं। अगर पानी घटता भी है तो भी तीन से चार दिन तक यही स्थिति रहने वाली है। जलस्तर बढ़ने की रफ्तर काफी कम हो गई है। इससे यह माना जा रहा है कि यदि पहाड़ों पर ज्यादा बारिश नहीं हुई तो जलस्तर कम होने लगेगा। बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्थिति काफी भयावह है। नाव से लोगों को राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
घरों की सुरक्षा करने के लिए तमाम लोग दूसरे और तीसरे तल पर शरण लिए हुए हैं। चोरी होने का भय उन्हें सता रहा है और वह घर छोड़कर नहीं जा रहे हैं। छोटा बघाड़ा, राजापुर, सलोरी, दारागंज, रसूलाबाद, गंगानगर आदि इलाकों में स्थिति काफी विकराल हो गई है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सोमवार को कई बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर उनकी समस्याएं सुनीं और शिविरों में व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने शरणार्थियों को राहत का पैकेट भी बांटा। कहा कि सरकार हर संभव लोगों की मदद करेगी।
सोमवार को सायं चार बजे की बुलेटिन के अनुसार गंगा और यमुना खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं। जलस्तर बढ़ने की रफ्तार काफी कम हुई है। खतरे का निशान 84.73 है। यमुना का जलस्तर नैनी में 86.12 पर है। इसी तरह फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 86.11 सेंटीमीटर रिकॉर्ड किया गया। चार घंटे में चार सेंटीमीटर पानी बढ़ा है। इससे जाहिर है कि एक सेंटीमटर प्रति घंटे की रफ्तार से जलस्तर बढ़ रहा है जो लगभग स्थिरता की तरफ ही बढ़ रहा है।
सिंचाई विभाग के अनुसार सब कुछ सही रहा तो मंगलवार को पानी घट सकता है। फिलहाल दोनों नदियां खतरे के निशान के ऊपर हैं और बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्थिति भयावह है। प्रशासन की नावें लोगों की सहायता के लिए लगाई गई हैं। जिले में चार लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित है। 10 हजार से अधिक लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।