नई दिल्ली:देशभर में नए वक्फ कानून को लेकर सियासी गर्माहट तेज है। आरोप प्रत्यारोप की राजनीति भी अपने चरम पर है। विपक्ष और कई मुस्लिम लीग इस संधोशन के विरोध में अपनी आवाज बुलंद कर रहे है। इसी बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भी नए वक्फ कानून 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। बता दें कि बीते दिनों लोकसभा और राज्यसभा में विधेयक के पारित होने के बाद पांच अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस अधिनियम को मंजूरी दी थी। इसके बाद से अभी तक वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में यह सातवीं याचिका है जो सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है।

बोर्ड ने याचिका में लगाए गंभीर आरोप
एआईएमपीएलबी ने 6 अप्रैल को अपनी याचिका में कहा कि वक्फ कानून मनमाना और भेदभावपूर्ण है। मुस्लिम बोर्ड ने याचिका में कहा कि वक्फ बोर्ड के कानून में यह संशोधन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करते हैं, जो धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन का अधिकार सुनिश्चित करते हैं।

साथ ही बोर्ड ने आरोप लगाया कि यह नया कानून मुसलमानों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करता है और सरकार की वक्फ के प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण लेने की मंशा को दर्शाता है। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड के सदस्य चुनने के लिए मुस्लिम होना जरूरी करने का भी विरोध किया गया है, जो इस्लामी शरिया सिद्धांतों और भारतीय संविधान के खिलाफ है।

बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से की कानून रद्द करने की अपील
इतना ही नहीं एआईएमपीएलबी ने इस कानून को भेदभावपूर्ण और संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ बताया है, क्योंकि अन्य धार्मिक समुदायों जैसे हिंदू, सिख, ईसाई, जैन और बौद्धों को जो अधिकार दिए गए हैं, वे मुस्लिम वक्फ और अवाक्फ को नहीं दिए गए हैं। बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से इन विवादास्पद संशोधनों को रद्द करने और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की अपील की है।