नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें पुणे के एक रेस्तरां को ‘बर्गर किंग’ ट्रेडमार्क का उपयोग करने से रोका गया था। यह रोक अमेरिकी फास्ट फूड चेन ‘बर्गर किंग’ द्वारा किए गए ट्रेडमार्क उल्लंघन के दावे की सुनवाई और फैसले तक रहेगी।
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और सत्येंद्र चंद्र शर्मा की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ बर्गर किंग कॉर्पोरेशन की याचिका पर नोटिस जारी किया। सात मार्च को शीर्ष कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी की याचिका पर मामले की सुनवाई में कोई बाधा नहीं आएगी और हाईकोर्ट को जल्द फैसले पर पहुंचने की अनुमति दी जाएगी, भले ही यह याचिका लंबित रहे।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने दो दिसंबर 2024 को पुणे के रेस्तरां को ‘बर्गर किंग’ नाम का उपयोग करने से रोक दिया था। इस रेस्तरां के मालिकों ने अगस्त 2024 में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें पुणे की अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी।
बर्गर किंग कॉर्पोरेशन ने हाईकोर्ट से रेस्तरां के मालिकों अनहिता ईरानी और शपूर ईरानी के खिलाफ अस्थायी रोक लगाने की मांग की थी, ताकि रेस्तरां बर्गर किंग ट्रेडमार्क का उपयोग न कर सके, जब तक याचिका की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती। हाईकोर्ट ने अगस्त में पुणे की कोर्ट द्वारा जनवरी 2012 में लगाई गई अस्थायी रोक को आगे बढ़ाया था और कंपनी की याचिका पर सुनवाई शुरू की थी।
कंपनी ने दावा किया था कि बर्गर किंग नाम का उपयोग करने से उसे बड़ा नुकसान हुआ है और उसके ब्रांड, प्रतिष्ठा और व्यापार को नुकसान पहुंचा है। पुणे की कोर्ट ने बर्गर किंग कॉर्पोरेशन की 2011 की याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि पुणे का रेस्तरां बर्गर किंग नाम से 1992 से चल रहा था, जो भारत में अमेरिकी कंपनी का व्यापार शुरू होने से पहले था।