नई दिल्ली: सोमवार को लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी और डीएमके की सांसद कनिमोझी के बीच तीखी बहस हो गई। दोनों ही नेता मतदाता सूची विसंगति और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कार्यान्वयन को लेकर अपने-अपने मुद्दों को उठाने की कोशिश कर रहे थे।
सदन में किस मुद्दे पर पहले चर्चा कराई जाए, इसी बात को लेकर विपक्ष के दोनों नेता आपस में भिड़ गए। शून्यकाल के दौरान कल्याण बनर्जी मतदाता सूची के मुद्दे पर बोलने के लिए उठे और कनिमोझी व डीएमके सांसदों ने इसका विरोध किया। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि उनकी पार्टी के सांसद सुमति को एनईपी 2020 पर चर्चा करने की अनुमति दी जाए। डीएमके का कहना है कि नई शिक्षा नीति के तहत तीन भाषाओं का फॉर्मूला लागू करना संघवाद पर हमला है।
कल्याण बनर्जी ने विरोध कर रहे सदस्यों से उन्हें बोलने देने के लिए कहा। उन्होंने डीएमके के लगातार विरोध के बीच बोलना जारी रखा। इसके बाद सदस्यों ने और मुखर होकर विरोध किया तो बनर्जी और कनिमोझी के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। इसी दौरान एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले ने कनिमोझी को उनकी सीट पर ले जाकर उनके कान में कुछ कहा।
सुमति के बोलने के बाद भी डीएमके सदस्य विरोध करते रहे। इसे देखते हुए सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
नई शिक्षा नीति को लेकर चल रहा विवाद
तमिलनाडु और केंद्र सरकार में नई शिक्षा नीति को लेकर विवाद चल रहा है। नई शिक्षा नीति-2020 में तीन भाषाओं का फॉर्मूला शामिल किया गया है। इसके तहत छात्रों को तीन भाषाएं सीखनी होंगी जिनमें कम से कम दो भारतीय भाषाएं चुनना अनिवार्य होगा जबकि तीसरी भाषा अंग्रेजी होनी चाहिए। कम से कम कक्षा 5 या उसके आगे कक्षा 8 तक पढ़ाई का माध्यम छात्र की मातृभाषा या उसकी क्षेत्रीय भाषा हो सकती है। इस मुद्दे को लेकर डीएमके केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर है। उनका तर्क है कि केंद्र इस नीति के माध्यम से तमिलनाडु पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रहा है।