नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ की महिला सरपंच की बहाली का आदेश जारी किया। कोर्ट ने आदेश में छत्तीसगढ़ सरकार अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि अफसरों को ग्रामीण इलाकों में महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए उदाहरण पेश करना चाहिए। मौजूदा समय में महिलाओं के नेतृत्व को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
दरअसल छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की सजबहार पंचायत की महिला सरपंच सोनम लड़का को निर्माण सामग्री की आपूर्ति और निर्माण कार्य पूरा होने में देरी पर सरपंच पद से हटा दिया गया था। सोनम ने राज्य के अधिकारियों के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद सोनम ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर को याचिका पर सुनवाई की और अफसरों के फैसले पर कड़ी नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। साथ ही महिला सरपंच को बहाल करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने गुरुवार को बहाली आदेश जारी करते हुए लिखा कि प्रशासनिक अधिकारी एक बार फिर से एक निर्वाचित जन प्रतिनिधि और एक लोक सेवक के बीच अंतर को समझने में फेल रहे हैं। निर्वाचित प्रतिनिधियों को अक्सर निर्देशों का पालन करने के लिए नौकरशाहों के अधीनस्थ माना जाता है। यह उनकी स्वायत्तता पर अतिक्रमण करने और उनकी जवाबदेही को प्रभावित करता है। प्रशासनिक अधिकारियों को महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने और ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में महिलाओं के नेतृत्व की पहल का समर्थन करना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि आर्थिक महाशक्ति बनने का प्रयास कर रहे एक राष्ट में ऐसी घटनाओं का लगातार होना और सामान्य हो जाना दुखद है। आदेश में कहा गया कि यह काफी चिंता करने वाली बात है कि बार-बार ऐसे मामले सामने आते हैं। जहां प्रशासनिक अधिकारी और ग्राम पंचायत सदस्य महिला सरपंचों के खिलाफ बदला लेने के लिए मिलीभगत करते हैं। ऐसे में आत्मनिरीक्षण और सुधार की जरूरत है।