Tuesday, September 17, 2024 at 12:39 AM

अमेरिका ने 27 वर्षों के बाद उठाया बड़ा कदम, नस्ल और नस्ल आधारित वर्गीकरण के तरीके बदले

अमेरिका में 27 वर्षों में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब अमेरिकी सरकार नस्ल और नस्ल के आधार पर लोगों के वर्गीकरण के तरीके को बदल रही है। अधिकारियों का कहना है कि इस बदलाव से सटीक जनगणना में मदद मिलेगी। अमेरिका के प्रबंधन और बजट कार्यालय द्वारा गुरुवार को नस्ल और जातीयता के लिए न्यूनतम श्रेणियों में संशोधन की घोषणा की गई है। यह प्रयास अमेरिका के लोगों को एक समान दर्जा देने की दिशा में उठाया गया कदम है। इस नियम के संशोधित होने से सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव देखने को मिल सकता है। इसके अलावा इसका मकसद यह है कि अलग अलग समाजों में रह रहे लोग संघीय सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में खुद को देख सकें। इसके लिए एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें डेटा इक्विटी की वरिष्ठ निदेशक मीता आनंद ने बताया कि इससे लोग भावनात्मक रूप से प्रभावित होंगे और इस तरह हम खुद को एक समाज के रूप में देख पाएंगे।

नियमों में क्या संशोधन हुआ?

  • चलिए आपको बताते हैं कि नस्ल और नस्ल के आधार पर लोगों को वर्गीकृत करने के नियमों में आखिर क्या संशोधन हुए हैं।
  • पहले नस्ल और जाति के सवाल फॉर्म से अलग से पूछे जाते थे। अब इन सभी सवालों को एक ही फॉर्म में जोड़ दिया गया है।
  • अब लोगों से अपनी नस्ल या जाति के बारे में बताने के लिए एक ही सवाल पूछा जाएगा। लोग विकल्प की मदद से सवाल का उत्तर दे सकेंगे। जैसे ब्लैक, अमेरिकन इंडियन, हिस्पैनिक, मध्य पूर्वी या उत्तरी अफ्रीकन।

इसकी जरूरत आखिर क्यों पड़ी?
ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में एक शोध हुआ था, जिससे पता चला था कि बड़ी संख्या में हिस्पैनिक लोग यह नहीं समझ पाते कि नस्ल के सवाल का जवाब क्या दें। दरअसल अब तक उनसे यह सवाल अलग से पूछा जाता था। इसलिए या तो वह लोग इसका उत्तर ही नहीं देते थे या ‘कोई अन्य जाति’ का विकल्प चुन लेते थे। अब नए विकल्पों में मध्य पूर्वी और उत्तर अफ्रीकी भी जोड़े जाएंगे। साफ है कि सभी लोगों के पास खुद को पहचानने का विकल्प होगा। ऐसे में जनगणना और भी ज्यादा सटीक हो जाएगी।

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