Friday, November 22, 2024 at 7:55 PM

रोचक है इस सीट का इतिहास, एक बार जीता निर्दलीय, पांच बार जीतकर अटल ने रचा इतिहास

प्रदेश में भले ही शासन करने वाले राजनैतिक दल बदलते रहे हों, पर लोकसभा चुनाव में राजधानी में कांग्रेस और भाजपा का वर्चस्व रहा है। इस वर्चस्व के बावजूद लखनऊ की संसदीय सीट पर वर्ष 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी की जीत का डंका बजा। उस समय आनंद नारायण मुल्ला ने कांग्रेस वीआर मोहन को आसानी से मात दी थी।

आनंद नारायण मुल्ला कश्मीरी ब्राह्मण थे। उनके पिता जगत नारायण मुल्ला मशहूर सरकारी वकील थे। आनंद नारायण वकालत करने के साथ ही उर्दू के कविभी थे। उनकी रचनाओं पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। वर्ष 1967 में जब लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई तो उन्होंने भी पर्चा दाखिल किया। देश में उस समय कांग्रेस की लहर चल रही थी। इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर उनकी लोकप्रियता चरम पर थी। इसी के बूते वे चुनाव में खड़े हो गए। चुनाव में कांग्रेस से उनके मुकाबले वेद रत्न मोहन मैदान में उतरे। वेद रत्न मोहन लखनऊ के पूर्व मेयर रह चुके थे तथा साधन-संपन्नता में भी कोई कमी नहीं थी।

भारतीय जनसंघ से चुनाव में आरसी शर्मा को टिकट मिला था। रिजल्ट की घोषणा हुई तो पहले स्थान पर आनंद नारायण मुल्ला रहे और उन्हें 92,535 वोट मिले। दूसरे नंबर पर वेद रत्न मोहन थे, और उनके खाते में 71,563 वोट आए। वहीं आरसी शर्मा को 60,291 वोट मिले और वे तीसरे नंबर पर रहे।

जगदीश गांधी भी थे मैदान में
इस चुनाव में एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी का नाम भी चर्चा में था। सिटी मांटेसरी स्कूल के संस्थापक जगदीश गांधी ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें 9449 मत मिले। अलीगढ़ से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव जीत चुके जगदीश गांधी ने इससे पहले वर्ष 1962 का लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था। हालांकि उस बार भी उनको हार झेलनी पड़ी। चुनाव में 14774 वोट के साथ वे तीसरे नंबर पर रहे।

Check Also

बादलों के निर्माण को भी प्रभावित कर रहा माइक्रोप्लास्टिक, अध्यन में चौकाने वाला खुलासा

माइक्रोप्लास्टिक की समस्या कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि …