भारत की मेजबानी में आज गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक की शुरुआत हुई है। बैठक में इस बार अंग्रेजी भाषा को महत्व दिए जाने पर जोर दिया जाएगा।
भारत एक बार फिर शंघाई सहयोग संगठन की मुख्य कामकाजी भाषाओं में से एक के रूप में अंग्रेजी के उपयोग पर जोर देगा। सूत्रों की माने तो भारत को अन्य सदस्यों का भी साथ मिला है।
रूसी और मंदारिन वर्तमान में एससीओ में आधिकारिक और कामकाजी भाषाओं के रूप में उपयोग की जाती हैं। ग्रुप के दस्तावेज भी इन्हीं दो भाषाओं में तैयार किए जाते हैं। रूस और चीन के अलावा चार मध्य एशियाई राज्य एससीओ के संस्थापक सदस्यों में से हैं।
संगठन में चीन और रूस प्रमुख देश हैं। इस संगठन को नाटो के विकल्प के तौर पर भी देखा जाता है। ऐसे में एससीओ का सदस्य होते हुए भी भारत चार देशों के संगठन क्वाड का भी सदस्य है।