पानी हम सभी की एक महती और अनिवार्य आवश्यकता है। कहते भी तो हैं कि ‘बिन पानी सब सूनʼ। पानी से न सिर्फ हमारी प्यास बुझती है बल्कि पानी हमारे शरीर के लिए भी उपयोगी होता है। क्या आप जानते हैं कि पानी उपचार पद्धति का एक माध्यम होता है? इस थेरेपी को हाइड्रोथेरेपी के नाम से भी जाना जाता है। उपचार के इस तरीके के द्वारा अनेक शारीरिक समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है, कैसे? आइये जानते हैं।
वाटर थैरेपी में बहुत कुछ खास नहीं होता है, बस इस थैरेपी में आपको अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीना होता है। जब आप ये थैरेपी लेते हैं तो आपको लगभग 10 से 15 गिलास पानी रोज पीना होता है। दरअसल पानी आपके शरीर के हर भाग में मौजूद होता है और यह आपको बहुत हेल्दी रखता है और कई तरीकों से आपकी हेल्प भी करता है।
इस थैरेपी में आपको अधिक से अधिक पानी पीते हुए लगभग 3 से चार लीटर पानी पीना होता है, क्योंकि आपके शरीर को करीब डेढ़ लीटर पानी की आवश्यकता होती है और अधिक मात्रा में पानी आपके शरीर से बाहर निकल जाता है।
• पैरों में पसीना ज़्यादा आता हो तो उन्हें पांच मिनट गर्म पानी में और फिर ठंडे पानी में रखें। इसके बाद अच्छे से पैरों को सुखा दें। इस क्रिया को हफ्तेभर तक दोहराएं आपकी समस्या जल्द ही ठीक हो जायेगी।
• दमा का दौरा उठने पर मरीज़ के हाथ और पैरों को गर्म पानी में डुबोकर रखें। दमे का दौरा पड़ने पर गर्म पानी पिलाना भी अच्छा होता है।
• नकसीर फूटने पर नाक में ठंडे पानी के छीटें मारना चाहिए। साथ ही सिर पर ठंडा पानी डालें या फिर ठंडे पानी की पट्टियां रखें।
• 1 लीटर पानी में 10-20 ग्राम जीरे का पाउडर मिलाकर अच्छे से उसे उबाल लें। जब पानी की तीन चौथाई मात्रा ही बचे तो तब इसे ठंडा करके छान लें। इस जल को पीने से गर्भाशय के सारे रोगों में बहुत राहत मिलती है। इसके अलावा समस्त स्त्री रोगों में भी बहुत लाभ होता है।